झट पट दिए निकालो बच्चों,
आया दीपों का त्यौहार।
चिड़ियाँ चहक रहीं उपवन में,
घर-घर में रौनक़ आई।
मौसम अब हुआ सुहावना,
चहुँदिश हरियाली छाई।
पेड़ पर कोयल कूक रही,
जैसे आई बसन्त बहार।
झट पट दिए निकालो बच्चों,
आया दीपों का त्यौहार॥
गरमी को अब टाटा कह दो,
सर्दी को सब पहचानों।
गर्माहट के अब पहनो कपड़े,
बात पते की मानो।
यदि न मानी बात हमारी,
हो जाओगे तुम बीमार।
झट पट दिए निकालो बच्चों,
आया दीपों का त्यौहार॥
मम्मी लीप रहीं घर आँगन,
सुंदर प्यारे फूल बनातीं।
रंग बिरंगी लंबी-लंबी,
झालर रमा लगाती।
पापा लेंगें ख़ूब मिठाई,
और आज फूल भरमार।
झट पट दिए निकालो बच्चों,
आया दीपों का त्यौहार॥
दीवाली के इस उत्सव में,
मिलकर दिए जलाएँगे।
धूम धड़ाका ख़ूब करेंगें
चकरी ख़ूब चलाएँगे।
फिर खाएँगें ख़ूब मिठाई,
करें सभी से प्यार।
झट पट दिए निकालो बच्चों,
आया दीपों का त्यौहार॥
डॉ॰ कमलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव - जालौन (उत्तर प्रदेश)