दीवाली की जगमग रात - कविता - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'

दीयों की रोशनी में जगमगा रही,
दिवाली की जगमग रात।
जहाँ-जहाँ राम ने चरण रखे,
हो रही ख़ुशियों की बरसात।

अमावस की काली रात भी,
रोशनी से रोशन हो रही।
घी के दिए जल रहे हैं,
घट-घट ख़ुशियाँ हो रही।

सज रहा हर कोना-कोना,
उत्साह उमंग उर में भरा।
होठों पर मुस्कान सभी के,
शृंगार करे पावन धरा।

ख़ुशहाली अधरों पर छाई,
जगमग दिवाली रात आई।
सुख समृद्धि सबके जीवन में,
वैभव भरे बजे शहनाई।

आस्था प्रेम सद्भावों के,
घट-घट में दीप जलते रहे।
जीवन ज्योति युक्त आलोकित,
ख़ुशियों के फूल खिलते रहे।

रमाकान्त सोनी 'सुदर्शन' - झुंझुनू (राजस्थान)

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