संदेश
अवसादों में जकड़ती युवा पीढ़ी - लेख - देवासी जगदीश
जीवन में खुश रहने के लिए व्यक्ति का शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ साथ-साथ मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। लेकिन आज की वास…
भारत के हैं हम वासी प्यारे - कविता - बाबू लाल पारेंगी
भारत के हैं हम वासी प्यारे, रहते प्यारे होकर भी न्यारे। सभी धर्मों का वास यहाँ पर रहते मिलकर नहीं हम हारे।। दिशा सबकी एक नहीं होती, एक…
तुम जीवन शृङ्गार प्रिये - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
प्राणनाथ अनुभूति हृदय प्राणप्रिये नव आश लिये। मधुमास मधुर मकरन्द मधुप अधर मृदुल हास प्रिये। गन्धमाद शिखर पुष्पित पाटल कोमल तनु चारु प…
वहशी मानव - कविता - भागचन्द मीणा
कहते हैं आदित्य मनुज तुम, कौन राह पर निकले हो बदल चुके हो अन्धकार में, असुर राह पर निकले हो। लालच में अंधे हो कर तुम, खुद को कितना बदल…
मुझे मत कहना - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
मेरा बालक मुझसे कहने लगा पापा मुझे राम मत कहना क्योंकि मैं किसी धोबी के कहने से अपनी पत्नी को नही त्यागूँगा। पापा मुझे शिवशंकर भी मत …
इंसानियत का बाज़ार कर गया - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
यूं भी कोई मुझको बे-ज़ार कर गया! बिला - वजह ही तक़रार कर गया! खुला रक्खा था दर मैंने भी अपना, खड़ी कोई यहां दीवार कर गया! बिना आंग…
दीवाली आयी - कविता - अनिल भूषण मिश्र
दीवाली आयी दीवाली आयी खुशियों की सौगात है लायी घर बाहर हुई खूब सफाई दीवारों पर फिर से रंगत आयी दीवाली आयी दीवाली आयी। खील बताशा लावा ल…
सुना है कि तुम - कविता - कपिलदेव आर्य
सुना है कि तुम पाई-पाई का हिसाब रखती हो, अपनी बड़ी दुकान में ऊंचा मुक़ाम रखती हो! सुना है, तुमने हीरे-जवाहरात बेशूमार जुटा लिये, पर ब…
माँ ममता - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
माँ याद तेरी जब आती है, तेरी ममता मुझे सताती है। स्नेहांचल छाया कल्पद्रुम, सहलाती पूत सुलाती है। मानसरो…
विजय पथ पे चल नारी - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
विजय तू अब कर नारी जो पग है सिंहासन तेरा, विजय पथ पे चल नारी नहीं वह चार दीवारी तेरी, न आसन तू है नारी। विजय तू अब कर नारी रूप धरो …
रक्तबीज - लघुकथा - सुधीर श्रीवास्तव
आज मेरी पत्नी बहुत परेशान थी। इन दिनों अखबारों में महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं की खबरों नें उसे डरा दिया है, तभी तो वह बेटी को स्कूल …
हे! राम - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
हे! राम तुम्हारी धरती पर, अब सत्य पराजित होता है। चहुँ ओर दिखे अन्याय यहाँ, नित, रावण, पूजित होता है। तुमने तो कुटूम्ब की खातिर, राज्य…
पर्यावरण और गाँव - दोहा - संजय राजभर "समित"
योगी रोगी हो गये, कहाँ करे अब वास? दूषित पर्यावरण से, मुश्किल में है साँस।। अब कहाँ है पात हरे, सावन में भी पीत। मौसम है बदला हुआ, गुस…
मानव परिकल्पना - कविता - विनय विश्वा
ये दुनिया सूरज, चाँद, तारे है अनंत ब्रह्मांड न्यारे। मानव की है परिकल्पना अधूरी बार-बार करते वो सिद्धि पूरी। कभी ग्रह नक्षत्रों की खोज…
अपना घर जलाते है - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"
एक हादसा और उठाते हैं, चलो अब तुम्हें भूल ही जाते हैं। लोग मंजिल तक क्यों नहीं पहुंचते, शायद रास्ते से लौट आते है। उनको प्यार तक नह…
अधूरा इश्क़ - कविता - बिट्टू
लेकर अधूरा तुम्हे रुखसत मै हो लूंगा तुम्हे साथ लेकर फुर्सत ना पाऊंगा। यूं इक ही घर में रहकर मोहब्बत ना कर पाएंगे रहकर दूर एक दूजे …
हो विजया मानव जगत् - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सकल मनोरथ पूर्ण हो, सिद्धदातृ मन पूज। सुख वैभव मुस्कान मुख, खुशियाँ न हो दूज।।१।। सिद्धिदातृ जगदम्बिके, माँ हैं करुणागार। मिटे समागत आ…
मेरी प्रार्थना सुन माँ दुर्गे - कविता - उमाशंकर राव "उरेंदु"
हे माँ दुर्गे! मैं क्या मांगूअपने लिए? मैं क्या कहूँ तुमसे कि मुझे यह दो, मुझे वह दो यह जीवन तुम्हारा ही दान है। मैं तो यही मांगूगा क…
कलम भी कहती - कविता - श्याम "राज"
कहानी लिखता जाऊ कविता लिखता जाऊ मैं ठहरा कलम का सिपाही अब तो हर बात लिखता जाऊ पर... रोती है अब तो कलम भी मेरी जब समसामियकी घटनाओं क…
हरदासीपुर - दक्षिणेश्वरी महाकाली - लेख - अंकुर सिंह
“कोई दुआ असर नहीं करती, जब तक वो हम पर नज़र नहीं करती, हम उसकी ख़बर रखे या न रखे, वो कभी हमें बेख़बर नहीं करती।” कुछ ऐसा ही संबंध है हमार…
जीवन और साहित्य - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सत्य कहा किसी ने मित्रो, साहित्य समाज का दर्पण है। सत्य मिथ्य का भेद बताये, इस हित जीवन अर्पण है। मातु शारदे के चरणों से इसका मित्रो…
जिंदगी से बेखबर - कविता - गजेंद्र कुमावत "मारोठिया"
जिंदगी से बेखबर, शाम तक की दौड़, भौर को जो निकला था, संवारने परिवार की डोर, चलता रहा... चलता रहा... अनवरत वो... जिंदगी से बेखबर, …
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