मेरा बालक
मुझसे कहने लगा
पापा मुझे राम
मत कहना
क्योंकि मैं
किसी धोबी
के कहने से
अपनी पत्नी को
नही त्यागूँगा।
पापा मुझे
शिवशंकर
भी मत कहना
क्योंकि मैं
अपनी पत्नी को
हवन कुण्ड में
जलते नही
देख सकता।
पापा मुझे
ब्रम्हा भी मत
कहना क्योंकि
अनाचारी को
विश्व वेता का
खिताब नहीं
जीतूंगा।
पापा मुझे
विष्णु भी
मत कहना
क्योंकि
समानता का
भाव त्याग कर
पत्नी से पैर
नही दववाऊंगा।
पापा मैं तो एक
इंसान हूँ
इंसान ही
रहने देना।
रमेश चंद्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)