अधूरा इश्क़ - कविता - बिट्टू

लेकर अधूरा तुम्हे 
रुखसत मै हो लूंगा
तुम्हे साथ लेकर 
फुर्सत ना पाऊंगा।

यूं इक ही घर में रहकर 
मोहब्बत ना कर पाएंगे 
रहकर दूर एक दूजे से 
जिंदा रह जाएंगे।

सावन है इश्क 
तुम उसमे बारिश बनकर आना
किसी को पता ना चले 
वो रिमझिम मुझ पर बरसा जाना।

हर बार गले लगाने 
की लालसा रख पाऊंगा
सोचो! साथ रहकर कहां 
फुर्सत पाऊंगा!

बिट्टू - नई दिल्ली

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