बिट्टू - नई दिल्ली
अधूरा इश्क़ - कविता - बिट्टू
मंगलवार, अक्तूबर 27, 2020
लेकर अधूरा तुम्हे
रुखसत मै हो लूंगा
तुम्हे साथ लेकर
फुर्सत ना पाऊंगा।
यूं इक ही घर में रहकर
मोहब्बत ना कर पाएंगे
रहकर दूर एक दूजे से
जिंदा रह जाएंगे।
सावन है इश्क
तुम उसमे बारिश बनकर आना
किसी को पता ना चले
वो रिमझिम मुझ पर बरसा जाना।
हर बार गले लगाने
की लालसा रख पाऊंगा
सोचो! साथ रहकर कहां
फुर्सत पाऊंगा!
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