दीवाली आयी - कविता - अनिल भूषण मिश्र

दीवाली आयी दीवाली आयी
खुशियों की सौगात है लायी
घर बाहर हुई खूब सफाई
दीवारों पर फिर से रंगत आयी
दीवाली आयी दीवाली आयी।

खील बताशा लावा लाई आयी
माँ ने दी सबको खूब मिठाई
खीर पूड़ी पकवान बनाई
हम सबने मिलकर खायी
दीवाली आयी दीवाली आयी।

फुलझड़ी पटाखा एक न आयी
पापा बोले ये हैं प्रदूषण के भाई
सब मिल करो इनकी भी सफाई
इसी में है हम सब की भलाई
दीवाली आयी दीवाली आयी।

दीप जले रात जगमगाई
अंधकार से नहीं मिताई
कीट पतंगों पर भी आफ़त आयी
सब मिल चले भाग पराई
दीवाली आयी दीवाली आयी।

बीमारी का ना रहा ठिकाना भाई
गर्मी गयी शरद् ऋतु आयी
निकले ऊनी कपड़े और रजाई
भूषण कहते सुन लो भाई
तन मन स्वस्थ बनाने की ऋतु आयी
दीवाली आयी दीवाली आयी।

अनिल भूषण मिश्र - प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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