संदेश
नासमझ दिल - कविता - शेखर कुमार रंजन
ऐ मेरे दिल की धड़कन, तू इतना बेकरार क्यों?हैं कैसा है? ये दिल का दर्द कैसी है? ये एहसास तुम्हारी। लगता है कि मुझे हो गया है, ऐ …
लिए क्या बात बैठे हो - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
कहो क्या राज़ है दिल में लिए क्या बात बैठे हो। सदा मुस्काने वाले तुम भला चुपचाप बैठे हो।। कि आते-जाते रहते हैं ख़ुशी और ग़म सदा यूँ …
कलमकार - कविता - सौरभ तिवारी
कहाँ गए वो कलमकार जो सच को सच लिख पाते थे, जिनके शब्दों की गर्जन से सिंघासन भी हिल जाते थे । चौथा खम्बा लोकतंत्र का और समाज क…
स्वच्छता अभियान - कविता - सतीश श्रीवास्तव
पहले मन को स्वच्छ करो फिर स्वच्छ करो संसार को, दृष्टि से सृष्टि बदलेगी समझो इसके सार को । बापू का सपना था भारत निर्मल हो जाए , …
मेरी किताब - कविता - मधुस्मिता सेनापति
विशाल दुनिया में छोटी सी जीव जिसके मन में भरा है सैकड़ों उम्मीद.........!! चाहते है मंज़िल की तरफ पर मिलता नहीं सही राह........!…
स्वस्थ जीवन का आधार हैं पेड़ पौधे - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
पत्ती से लेकर जड़ों तक न जाने कितने फायदे होते हैं एक पेड़ के। दवाइयां, भोजन, कपड़े से सुरक्षा तक पेड़ों के बहुत फायदे हैं। पेड़ों …
तुम्हें यूं ही सदैव सदा देते रहेंगे हम - ग़ज़ल - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
हृदय में संजोए हुए हैं, कितने ही गम। गीत, ग़ज़लें गाए, स्वप्न देखे बहुत कम।। फूलों-सा महकता वदन, रखें सहेजकर। तुम्हें यूं ही सद…
मझधार फंसी अब नैय्या - भोजपुरी कविता - बजरंगी लाल
ई राजनीति विषधारा बाड़े, केकरा के गद्दार लिखी, केकरा देश हितैषी बोलीं, केकरा के विषधार लिखीं। लूटम-लूट मची बा भइया, सबही जम के…
माँ भारती - कविता - दिवाकर शर्मा "ओम"
राष्ट्रहित में हो समर्पित, अपना ये सीना तान कर । जिस देश में जन्मा है तू, उस देश का सम्मान कर । कोशिस करो हर बक्त मिलकर विश्व को क…
आया सावन झूम के - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
स्वागत सावन मास का , अभिनन्दन शिवधाम। ग्रीष्मातप आहत धरा , बरसे नभ घनश्याम।।१।। पावस ऋतु स्वागत करे , बढ़कर सावन मास। …
गम - कविता - शेखर कुमार रंजन
जमाने ने जमाने को, जमाना सीखा दिया एक हँसते खेलते बालक को, रोना सीखा दिया। सुबह तन्हा शाम तन्हा, दोपहर भी तन्हाई में बीतने लग…
क्या खूब कहा है किसी ने - ग़ज़ल - समुन्द्र सिंह पंवार
जब पति और पत्नी में तकरार हो जाती है तो जीवन रूपी गाड़ी ये बेकार हो जाती है जब भाई का भाई से उठ जाता है भरोसा , तो आंगन के बीच खड़…
कई अरमान और कई सपने - कविता - अतुल पाठक
कई अरमान और कई सपने दिल में बसते हैं अपने तलाश मुझे हमसाये की हमदर्द नहीं कोई अपने ख़ुशनुमा ज़िंदगी किसको नहीं प्यारी पर होते क…
तो दुनिया कितनी अच्छी होती - लघु बाल कथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
एक जंगल में एक भोलू नाम का ऊंट रहता था। वह सभी की मदद करता था, अगर कोई उसको अनदेखा भी करता तो भी वह परवाह नहीं करता। एक दफा की बात…
पीड़ा - कविता - मयंक कर्दम
ज़ख्म कुछ भरे नहीं, आंखें फिर नम हो गई। खुली पलके राह में, तुझे बिन निहारे सो गई। मेरे आंसू की वर्षा में, कब बदन गीला हुआ, तुझे …
नारी वह बिदूसी - कविता - बुद्धदेव बाघ
वो अबला नहीं सबला है नारी दुर्गा अब्तारी है जंजीर तोड़के बंधन के इतिहास की अनसुनी गाथा है... झांसी की वह लक्ष्मी बाई है …
बाढ़ का किनारा - कविता - राजीव कुमार
मैं हूँ, बाढ़ का किनारा, चुपचाप देखता हूँ, दूर बहती, नदी की धारा ! मैं हूँ बाढ़ का किनारा ! पिछले वर्ष की बात है वह उमड़ कर आयी…
जीवन के पथ पर - कविता - मधुस्मिता सेनापति
जिंदगी के इस सफर में, हर इंसान को अकेले ही, सफर करना है और, यह जिंदगी के चिरंतन सत्य है.....!! इस अनिश्चित सफर में, कौन सहेसा …
उन दिनों की बात - कविता - शेखर कुमार रंजन
ये उन दिनों की बात है, जब मिलकर हमलोग रहते थे समस्याए अपनी-अपनी सभी, एक दूजे से कहते रहते थे। चोट एक को भी लगे तो, दर्द सभी को…
शिवशंकर मैं नमन करूं - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
हे कैलाशी असुर विनाशी, बैद्यनाथ शिव मैं नमन करूंँ। उमापति चैतन्य महाप्रभो! हे नंदीश्वर मैं नमन करूं…
पर्यावरण - कविता - अतुल पाठक
वृक्ष रोपकर पर्यावरण को हरा भरा बनाएंगे सुगंधित सुखमय प्यारा-प्यारा हिंदुस्तान हम बनाएंगे बदलेंगे तस्वीर जहाँ की रमणीक दृश्य…
नींद चुराने वाले - ग़ज़ल - दिलशेर "दिल"
दिल की दहलीज़ पे चुपचाप से आने वाले। कौन है तू ये बता नींद चुराने वाले।। मेरे खिलते हुए गुलशन को जलाने वाले। क्या मिला …
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