तुम्हें यूं ही सदैव सदा देते रहेंगे हम - ग़ज़ल - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"

हृदय में संजोए हुए हैं, कितने ही गम।
गीत, ग़ज़लें गाए, स्वप्न देखे बहुत कम।।

फूलों-सा महकता वदन, रखें सहेजकर।
तुम्हें  यूं ही सदैव, सदा देते रहेंगे हम।।

प्रातः की उजियाली-सी, तुम आ जाओ।
एक तुम ही तो हो हमराज़, मेरे हमदम।।

यामिनी में शबनम का भी इंतज़ार है।
रश्मि बन, आगोश में ले लो मेरे सनम।।

दिनेश कुमार मिश्र "विकल" - अमृतपुर , एटा (उ०प्र०)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos