गीत, ग़ज़लें गाए, स्वप्न देखे बहुत कम।।
फूलों-सा महकता वदन, रखें सहेजकर।
तुम्हें यूं ही सदैव, सदा देते रहेंगे हम।।
प्रातः की उजियाली-सी, तुम आ जाओ।
एक तुम ही तो हो हमराज़, मेरे हमदम।।
यामिनी में शबनम का भी इंतज़ार है।
रश्मि बन, आगोश में ले लो मेरे सनम।।
दिनेश कुमार मिश्र "विकल" - अमृतपुर , एटा (उ०प्र०)