स्वच्छता अभियान - कविता - सतीश श्रीवास्तव

पहले मन को स्वच्छ करो फिर स्वच्छ करो संसार को, 
दृष्टि से सृष्टि बदलेगी समझो इसके सार को ।
बापू का सपना था भारत निर्मल हो जाए ,
खुशहाली से भरा यहां का हर पल हो जाए ।
मिलजुल कर सब रहें और सब बांटें दिल से प्यार को,
दृष्टि से सृष्टि बदलेगी समझो इसके सार को।
हमने यह संकल्प लिया है स्वच्छ बने भारत ,
आने वाले कल में फिर समृद्ध बने भारत।
जीत सदा कदमों को चूमे कभी ना देखें हार को,
दृष्टि से सृष्टि बदलेगी समझो इस के सार को।
गली-गली घर-घर पहुंचाएं स्वच्छ कदम की बात, 
बीमारी फिर ना कर पाए किसी ओर से घात ।
स्वच्छ रहे तन स्वच्छ रहे मन स्वच्छ करें व्यवहार को,
दृष्टि से सृष्टि बदलेगी समझो इसके सार को ।
जन जन की भागीदारी हो भारत के निर्माण में,
जान फूंक दे सब मिलकर कण कण में पाषाण में ।पहले कर्तव्यों को पहचानें फिर पाए अधिकार को,
दृष्टि से सृष्टि बदलेगी समझो इसके सार को ।
कूड़ा करकट देख स्वयं ही आगे हाथ बढ़ाएं ,धरती मां को अब कचरा से आओ मुक्त कराएं ।
आओ कर्ज चुकायें कुछ तो कम कर लें इस भार को,
दृष्टि से सृष्टि बदलेगी समझो इसके सार को।


सतीश श्रीवास्तव - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)

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