मझधार फंसी अब नैय्या - भोजपुरी कविता - बजरंगी लाल

ई राजनीति विषधारा बाड़े,
केकरा के गद्दार लिखी,
केकरा देश हितैषी बोलीं,
केकरा के विषधार लिखीं।

लूटम-लूट मची बा भइया,
सबही जम के लूटत बा,
मौसेरे सब भाई बाड़ें,
केकरा ईमानदार लिखीं।

जेकरा नाव समझ के चुनलीं,
उहै  डुबावै   चाहत   बा,
जेकरा के पतवार समझलीं,
मार   गिरावै   चाहत   बा।

जेकरा खेवनहार समझलीं,
जुमला खूब सुनावत बा,
कइसे पार लगी ई नैय्या,
मझधारै में भटकावत बा।

दरिया विहार के सुनर सपनवाँ,
में सबके बहकाय लिहेस,
पहुँचल जइसे मझधार में नैय्या,
आत्मनिर्भरता के पाठ पढ़ाइ दिहेस।

ना एतनो पे जौ सबर भइल, 
खूंटा केतना उखड़वाय दिहेस,
नदिया के हित कहि कहि के,
केतनन के बलि चढ़ाई दिहेस।।

बजरंगी लाल - डीहपुर, दीदारगंज, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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