माँ भारती - कविता - दिवाकर शर्मा "ओम"

राष्ट्रहित में हो समर्पित, अपना ये सीना तान कर ।
जिस देश में जन्मा है तू, उस देश का सम्मान कर ।
कोशिस करो हर बक्त मिलकर विश्व को कैसे दिखाएं ।
मातृभूमि का ये गौरव विश्व में कैसे बढ़ाएं ।
आने वाली पीढ़ियों को राम कान्हा हम पढ़ाकर ।
शेखर विवेकानंद, नानक देव के पथ पर चलाकर ।
राणा शिवा और पद्मिनी के वीरता के ताप से ।
सिंचित करें शोणित की बूंदे देश के इतिहास से ।
हम उन्हें बतलायें गें कैसे हैं हम अब तक जिए ।
सैकड़ों संग्राम लड़ मधु से हलाहल तक पिये ।
हमने कभी भी स्वार्थ में आकर नहीं संग्राम मांगे ।
और झुककर के कभी भी हम ने न विराम मांगे ।
हमको सदा मेरी प्रतिष्ठा प्राणों से प्यारी रही ।
और कुर्वानी के आगे इज्जतें भारी रहीं ।
हमनें वचन जो दे दिया उसको निभाया प्राण देकर ।
हमने रचाई थीं प्रलय सब एक नया निर्माण लेकर ।
अरे हमने बताया शून्य जब तब अंक पूर्णाक हुआ ।
हमने उठाये शस्त्र जब भी तब समर शांत हुआ ।
हमनें यहाँ हर एक कण को देवता के तुल्य माना ।
हमने किया हर कार्य पूरा जो कभी मन से था ठाना ।
हमने जगत में एकता और प्रेम का संगम दिखाया ।
और दुनिया को हम ही ने शान्ति का पथ बताया ।
राम जी ने आ के जिनको पाठ मर्यादा सिखाया ।
और कान्हा ने जगत को अपनी उंगली पर नचाया।।
बुद्ध ने धरती पर आकर शांती का रंग डाला ।
और गीता को सुनाने आ गए थे नंद लाला ।
हमने सिखाया युद्धकौशल बोधिधर्मन को यहाँ ।
और जन्मे हैं धरा पर सैकड़ों ऋषि मुनि जहाँ ।
हमनें अपने भक्ति बल से देवताओं को बुलाया ।
और अपने हाथों से ही पालने में था सुलाया ।
इस धरा को देवताओं ने था मस्तक से लगाया ।
और धरती को तपोबल से था ऋषियों ने सजाया ।
ऐसी पावन भूमि है जो वह मेरा अभिमान है ।
बनकर लहू में घूमती माँ भारती की शान है ।
प्रेम यदि करना है तो यह देश और परिवार है ।
याद रखने के लिए बलिदानियों का प्यार है ।
कर्म यदि करना है तुमको देश के हित में करो ।
कण्ठस्थ यदि कुछ कर सको तो जिम्मेदारी को करो ।
जीवन मिला है पूण्य से इस बात का तू ध्यान कर ।
व्यर्थ की बातों को तज कर लक्ष्य पर सन्धान कर ।
लक्ष्य पाकर के कभी भी देश को मत भूल जाना ।
चन्द पैसो के लिए तुम देश को मत तोल जाना ।
अरे देव जन्मे इस धरा पर, यह हमारा भाग्य है ।
हमको मिलीं माँ भारती यह मेरा सौभाग्य है ।
आओ हम सब साथ मिल कर एक लेते हैं कसम ।
कुछ भी कर जाने को तत्पर देश की रक्षा में हम ।

दिवाकर शर्मा "ओम" - हरदोई (उत्तर प्रदेश)

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