जिसके मन में भरा है सैकड़ों उम्मीद.........!!
चाहते है मंज़िल की तरफ
पर मिलता नहीं सही राह........!!
किताब क्यों है तुम्हारे मेरे बीच इतने फासले
मिटा के सारे गम
बन जाओ मेरी जिंदगी की उर्जा मसाले..........!!
सख्त जरूरत है मुझे तुम्हारी
छोड़कर मत जाओ, क्योंकि
मुकम्मल नहीं होगी मंजिल मेरी बिना तुम्हारी.........!!
बन जाओ तुम मेरे जिंदगी की एक हिस्सा
क्योंकि तुम एक ही हो मेरी जिंदगी की नक्शा..........!!
आंखों में आंसू है मन में है आशा
मिटा के सारे गम रच दो मेरी जिंदगी की परिभाषा...........!!
मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)