आया सावन झूम के - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

स्वागत सावन मास का , अभिनन्दन   शिवधाम।
ग्रीष्मातप   आहत  धरा , बरसे   नभ  घनश्याम।।१।। 

पावस ऋतु  स्वागत  करे , बढ़कर  सावन मास।
शिव सुन्दर भावन जगत ,  सावन  मन आभास।।२।।

चमक रही घन बिजुरियाँ , दादुर  मुख  मुस्कान।
चला  कँवरिया  जलभरण , हरिहर  भोले  गान।।३।।

सुख  दुख  का  गमनागमन , नवजीवन  सौगात। 
पतझड़ बस अहसास बन , फिर सावन बरसात।।४।।

शीतल  मंद  समीर  नित , कहीं  धूप कहँ  छाँव।
उमर  घुमड़   बरसे   घटा , समझो सावन  भाव।।५।।

प्रीत   मिलन   में विरहणी , कुढ़े   ज्येष्ठ आषाढ़। 
सावन    देखे    दिल  खिले , आए    चाहे  बाढ़।।६।।

वर्षा      रानी   चारुतम ,  सज   सोलह   शृंगार।
पीर  गमन  व्याकुल  हृदय , मेघ   नैन  जलधार।।७।।

उमड़ घुमड़ गरजे  घटा ,रिमझिम  बरस  फुहार।
प्रिया   संग    अठखेलियाँ , भींगे    करे   दुलार।।८।।

मदमाती    नदियाँ    सभी , लहरों   का  ऊफान।
जलप्लावन   प्रसरित  धरा , सदमे   में    इन्सान।।९।।

नर पादप मृगद्विज सभी , प्रकृति  मातु धर हाथ।
सावन भादो  खुशनुमा , मिल   बर्षा   के    साथ।।१०।।

मनमयूर     नर्तन     करे , सपनों      के   नवरंग।
प्रियतम   आलिंगन  मगन , नवरस जलधि तरंग।।११।।

श्रावण प्रिय मनुहार को , देख मिलन प्रिय आश। 
मधु  सावन शिव चारुतम , दर्शन  मन    कैलाश।।१२।।

ख्वावों  की  बन मल्लिका , जीवन का अहसास।
विरह   मिलन  मधुमास का ,बस सावन है आस।।१३।।

मन   मयूर   नाचे   प्रिया,  सावन    प्रीत   बहार। 
बनी     चकोरी   साजना ,  सज  सोलह  शृङ्गार।।१४।। 

धीमा    धीमा    बरसता , गन्धमाद     घनश्याम।
भींगी   भींगी   कामिनी , खोयी   प्रिय अभिराम।।१५।।

आया  सावन   झूम  के , मादक  घन    बरसात। 
गंगाधर  अर्पण  सलिल , सजन    सजे   बारात।।१६।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos