संदेश
फ़र्क़ - कविता - डॉ. कुमार विनोद
लड़कियों के पैदा होने व बाप के लिए चिंता का बीज बोनेकी वजह समाज द्वारा खाद पानी दहेज के रुप में जड़ों में डाला जाना है क्योंकि जड़…
गंगा मइया - लोकगीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
अमृत है तेरा निर्मल जल हे! पावन गंगा मइया। हम सब तेरे बालक हैं तुम हमरी गंगा मइया। माँ सब के पाप मिटा दो हे! पापनाशिनी मइया। अब सारे…
१८५७ की क्रांति - कविता - आर एस आघात
अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए, सत्ता-शासन के अधिकार छिने थे, मिले कुँवर जी, नाना ओर तात्यां, 1857 की क्रांति का आगाज़ किया। एक तरफ़ से झाँसी की…
कोरोना का काल बनने दें - ग़ज़ल - कर्मवीर सिरोवा
तन्हाई को लगी हैं उम्र तो लगने दें, जिंदा रहना हैं तो घर पर रहने दें। जिसने बेचा हैं ईमान दूकानदारी में, लानतें आयेगी, अभी कमाई बढ़ने द…
जीवन संगिनी - कविता - पुनेश समदर्शी
बात तो तब हुई, जब वो मुस्कुराई। उससे पहले तो मैं, डरा हुआ था। बातों में अजीब सी, मधुरता थी उसके। ऐसा मीठा संवाद, पहले किसी से हुआ न था…
यही मेरी तमन्ना है - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
चाँद चकोर ज्यूँ , एकटक देखा करूँ , अपलक होकर । लुकछिप रहूँ , मैं सुबह शाम , आँखें बार-बार धोकर । माथे पर गोले-सी बिंदियाँ, कजरारे नय…
परमात्मा की अद्भुत रचना है मनुष्य - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सत्य स्वरूप परमात्मा एक है, जिसे हम सभी अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। धरती, जल, वायु, आकाश हर जगह उसकी ही सत्ता है। उसकी मर्जी के बगैर…
युद्ध अभी शेष है (भाग ३) - कहानी - मोहन चंद वर्मा
दरबार में.... सम्राट: मंत्री जी राज्य में ये कौनसी महामारी फैल रही है। मंत्री: सम्राट जब मुझे इस महामारी की सूचना जैसे ही मिली तो मैने…
पेड़ हैं धरती का सिंगार - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
ये पेड़ हैं धरती का सिंगार । इनको मत काटो मेरे यार ।। ये देते प्राण वायु , और बढ़ाते सबकी आयु , ये हैं जीवन का आधार । इनको मत का…
ये कैसा अपनापन है - कविता - राम प्रसाद आर्य
कौन कहता है कि, बेटी तो पराया धन है? पूछो उससे कि तेरा, ये कैसा अपनापन है।। पूछो उससे कि.... अपनी जनी को ही तू पराया कैसे कहता है? क…
क्यों किसान भूखा है - कविता - शिवचरण चौहान
क्यों व्यापारी मौज कर रहा क्यों किसान भूखा है। दिल में रखकर हाथ कहो क्या खुद से खुद पूछा है।। बिना किए कुछ काम धाम अरबपति नेता क्यों ह…
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग ५) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(५) नागवंश किस काल, पसारे पाँव यहाँ पे? सिंहवंश किस हाल, किए थे राज यहाँ पे? पालवंश की बात, बताना हमें दिवाकर! तुम किए दृष्टिपात, अंधय…
लघु साफल्य प्रयास - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जीवन के संघर्ष में, लघु साफल्य नवास । यायावर नवजोश से, उड़े व्योम विश्वास।।१।। मिले उसे संजीविनी, नित प्रयास संघर्ष। नव ऊर्जा हो स…
कैप्टन मनोज कुमार पांडेय - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
परमवीर चक्र प्राप्त वीर कैप्टन मनोज कुमार पांडेय को समर्पित कविता वीर प्रसूता माटी ने, जाने कितने वीर जने। कैप्टन मनोज पांडेय, शूरवीर …
संग-ओ-खार आऐगें सफ़र में - ग़ज़ल - लाल चंद जैदिया "जैदि"
हादसे होकर हम से अकसर गुजरते रहे, नज़र मे ओरों की हम बेशक बिखरते रहे।। सोचते रहे वो, कि हम टूट के बिखर जाऐगे, हौंसलो से हम मगर फिर भी न…
तनाव और जीवन - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
तनावों का जीवन में अलग ही है रोल, तनावों के बिना फेल है जीवन का भूगोल। तनाव है तो जीते हैं बिना तनाव भला आप क्या कर पाते हैं? त…
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग ४) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(४) लोककथाएँ गीत, हमें क्या कहती दिनकर? मुण्डा राज अतीत, बताओं जग को खुल कर। पार्वती पुंडरीक, प्रणय की अमर कहानी। 'नाग दिसुम…
बेमौल माज़ी - नज़्म - कर्मवीर सिरोवा
हम रोये बहुत, नैनों को ना सूखने दिया कभी, इस काफ़िर दिल ने तुझकों ना भूलने दिया कभी। शामों की सुर्ख़ फ़ज़ाओं में तुझसे मुख़ातिब हुआ कभी, मा…
चाहत से दुनिया हंसी है मेरी - गीत - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
आई हो अभी तो तुम जानेमन, तुम अब जाने का नाम न लेना, ढला दिवस अब रजनी है आई, घर पर है मुझको जाना। अवश्य पूरा करूँगा इक दिन, आएं क्षण श…
सीमाओं से परे है प्रेम - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
प्रेम से तो ईश्वर को भी प्राप्त किया जा सकता है। कहते हैं ढाई अक्षर प्रेम के पढ़े सो पंडित होय, वाकई निष्काम एवं निस्वार्थ प्रेम से सभी…
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