क्यों व्यापारी मौज कर रहा
क्यों किसान भूखा है।
दिल में रखकर हाथ कहो क्या
खुद से खुद पूछा है।।
बिना किए कुछ काम धाम
अरबपति नेता क्यों होता है?
बंपर फसल उगाने पर भी
क्यों किसान रोता है?
क्यों किसान के माथे लिक्खा
बाढ़ और सूखा है।
क्यों किसान भूखा है।।
क्यों किसान गाँव से चल
राजधानियों तक आते हैं।
क्या आवाज किसानों की
धृतराष्ट्र ना सुन पाते हैं।
अपनी कहते रहे चाहिए क्या
तुमने पूछा है।
क्यों किसान भूखा है।।
पानी खाद और डीजल में
लाखों लगते हैं।
कौड़ी मोल फसल बिकती
सब ठगने लगते हैं।
झूठे सारे वादे सच तो
इकदम रूखा है।
रुखा सूखा भूखा को
कब किसने पूछा है।।
क्यों किसान भूखा है।।
शिवचरण चौहान - कानपुर (उत्तर प्रदेश)