कैप्टन मनोज कुमार पांडेय - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"

परमवीर चक्र प्राप्त वीर कैप्टन मनोज कुमार पांडेय को समर्पित कविता

वीर प्रसूता माटी ने,
जाने कितने वीर जने।
कैप्टन मनोज पांडेय,
शूरवीर  मिले हमें।
25 जून 1975 उत्तर प्रदेश,
सुल्तानपुर की शान
बने माँ मोहिनी,
पिता गोपीचन्द्र का अरमान
सुनो मनोजजी की गाथा,
किया भारत का ऊँचा माथा
लिया प्रण वीर ने,
देश की सेवा का।
अदभुत, अधम साहस से,
दुश्मन को भेदा था।
शूरवीर उस ओर चला,
हर बांधा को भेद चला।
2 जुलाई 1999 की शाम,
चले कारगिल के मैदान
तभी अचानक गोली,
सन्नाटा भेज चली।
वीर मनोज के साहस पर,
गोली  कंधा भेद गई।
पर क्या साहस क्या बात,
रोक न पायी वीर वो।
लक्ष्य पाने के खातिर,
अग्रसर शूरवीर हुआ।
अगले बांकुर को तोड़,
जीत वो वीर चला।
रक्त श्राव हुआ बहुत,
तब भी हार  न माना।
तभी अचानक एक गोली,
साहस छाती भेद गयी
पर जीत हासिल कर,
दीप जीत रोशन किया।
भारत की धरती को,
उसका यौवन दिया।

अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी" - कानपुर नगर (उत्तर प्रदेश)

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