मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग ४) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"

(४)
लोककथाएँ गीत, हमें क्या कहती दिनकर?
मुण्डा राज अतीत, बताओं जग को खुल कर।
पार्वती पुंडरीक, प्रणय की अमर कहानी।
'नाग दिसुम'की लीक, धुँधल जानी-अनजानी।।


नागखण्ड विस्तार, कथा सुतियापाहन की।
चुटु-नागु कथासार, पुरातन झारखण्ड की।
जरासंध साम्राज्य, किरण सुवर्ण गाथानक।
विस्तृत मुण्डा राज, रिसा-मुदरा मुण्डा तक।।


सात गढ़ों के नाम, क्रमागत हमें बताओ।
नित नवीन आयाम, बने जो हमें दिखाओ।
बसे कीलियाँ ग्राम, यहाँ पर कितने बोलो।
जग को दो पैगाम, किरण पट अपना खोलो।।


सुनो सुनो करतार! दे रहा नवयुग दस्तक।
शरण पड़े तव द्वार,आज हमसब नतमस्तक।
झारखण्ड जोहार! हमें कहना सिखलाओ।
ममता करे गुहार, मिहिर! अथ कथा सुनाओ।।


डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी" - गिरिडीह (झारखण्ड)


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