हँसती खिलखिलाती दुनिया थी हमारी,
हर दिन गुज़र रहा था बहार से।
अब चारों ओर कोहराम मचा है,
कोरोना के प्रहार से।
सैकड़ों वर्ष बाद आई है फिर,
दुनिया में उभरकर एक महामारी।
नाम है जिसका कोरोना,
इस से जान बचाना है भारी।
साबुन, सेनेटाइजर, और मास्क लगाए,
अपने परिवार और ख़ुद की जान बचाए।
आओ कुछ लोगों को हम जगाते है,
और कुछ लोगों को आप जगाए।
डरने की ज़रूरत नहीं है इससे,
ज़रूरत है हिम्मत जुटाने की।
हम सब मिलकर इसे हराएँगे,
यह बात नहीं है घबराने की।
लाखों जाने ली है इसने,
लाखों किए है अत्याचार।
दवा, दारु कुछ भी काम नहीं आ रहा,
आख़िर क्या करे सरकार।
अभी भी वक़्त है संभल जाए हम,
अपने परिवार और ख़ुद की रखे ध्यान।
मौत को मात देकर हम,
लाए सबके होंठो पर मुस्कान।
चंदन कुमार अभी - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)