काल को है मात देना - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"

काल आया तो हुआ क्या, हम लड़ेंगे काल से।
मात देंगे काल को हम, अब उसी की चाल से।
काल से हम सब करेंगे, सामना डट कर सदा।
मुक्त होंगे एक दिन हम, काल के संजाल से।।

बीतना है यामिनी तम, भोर का दस्तक दिए।
सूर्य छाएगा गगन पे, रश्मि कर पट में लिए।
जगमगाएगी धरा यह, सब्र कर ले बस ज़रा।
राह पे रुकना नहीं यूँ, जीत बिन हासिल किए।

काल ही तो युद्ध रचता, शांति लाता काल भी।
काल ही चलना सिखाता, यूँ मिलाकर ताल भी।
काल से अबतक जगत में, बच सका कोई भला?
काल के पंजे पड़े थे, राम अरु गोपाल भी।।

काल को वश में किया जो, जीत उसकी जान लो।
काल किस पथ चल रहा, हे वीर! तुम संज्ञान लो।
चल पड़ो उस ओर तुम भी, ध्वज धरे निज हाथ में।
काल को है मात देना, आज मन में ठान लो।

डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी" - गिरिडीह (झारखण्ड)

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