सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)
मददगार - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मंगलवार, मई 11, 2021
वर्तमान में
समय और माहौल विपरीत है,
हर ओर एक अजीब सा
ख़ौफ़ फैला है,
ख़ामोशी है, सन्नाटा है
कब क्या होगा?
किसके साथ होगा?
प्रश्नचिंह लगाता है,
आज तो औरों से अधिक
ख़ुद से घबराता है।
बस अब हम सबको
सचेत होने की ज़रूरत है,
हर किसी के डर को
भगाने के लिए
एक दूसरे के मदद की ज़रूरत है।
सकारात्मक रहिए
सकारात्मक्ता का संदेश फैलाइए,
अपनी मदद आप भले ही कर लें
औरों के मददगार बनिए।
आज हर किसी को हर किसी के
मदद की ज़रूरत है,
आज के माहौल में सबको
सबके संबल की ज़रूरत है।
काले बादल छँटेंगे
उम्मीदों का उजाला फैलेगा
खोई ख़ुशियाँ वापस होंगी,
फिर से पहले जैसी
चहल पहल चहुँओर होगी।
बस! थोड़े धैर्य की ज़रूरत है,
मानवीय गुणों को जीवन में
उतारने की ज़रूरत है।
हर कोई आगे बढ़े
एक दूसरे की मदद के लिए
कमर कस ले।
सबके दु:ख कम हो जाएँगे,
जब हर तरफ़ मददगार ही
मददगार नज़र आएँगे।
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