धीरज न खोना - कुण्डलिया छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"

कोरोना है कर रहा, अब ताण्डव बिकराल।
रूप बदल कर ज्यों यहाँ, नाच रहा है काल।।
नाच रहा है काल, परी है मारा-मारी।
मानवता लाचार, हुई है ज्यों बेचारी।।
कह 'कोमल' कविराय, किन्तु धीरज ना खोना।
ईश्वर पर विश्वास, भगेगा यह कोरोना।।

कैसी है यह आपदा, आन पड़ी बिकराल।
सावधान हो जाइए, बहुत बुरा है हाल।।
बहुत बुरा है हाल, मास्क से मुखड़ा ढकिए।
सेनेटाइजर आप, साथ में हरदम रखिए।।
कह 'कोमल' कविराय, घड़ी मुश्किल की ऐसी।
संकट लेकर आज, मुसीबत आई कैसी।।

श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल" - लहार, भिण्ड (मध्यप्रदेश)

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