कोरोना की हवाबाजी - आलेख - परमजीत कुमार चौधरी

देश और दुनिया में कोरोना की दूसरी लहर फिर से परवान पर चढ़ी है। पता नहीं यह और कितने दिन रहेगी हालांकि पिछले बार की तुलना में इस बार डर उतनी ज़्यादा नहीं लग रहा है, क्योंकि लोग इस बीमारी को समझ चुके है, और उन्हें इससे लड़ने का तरीके भी मालूम हो चुका है। इस बार राहत की बात यह है की हमारे पास इसका टीका उपलब्ध है। वैज्ञानिकों का कहना है की टीका बहुत हद तक सफल है और सरकार इसे जोरों से लोगों को लगवाने के लिए कोशिश कर रही हैं। परंतु पिछले बार की तुलना में इस साल मामले ज़्यादा हो रहे हैं जिससे लोगो मे चिंता की लकीरें खींच रही है। हालांकि सावधानियाँ अभी भी उतनी ही होनी चाहिए क्योंकि बहुत लोग टीके लगवाने से डर रहे हैं, जिससे उनमें विभिन्न भ्रांतियां हैं। और यह डर पैदा करने में हमारी मीडिया भी पीछे नहीं है। यूँ कहें तो देश की मीडिया "कोरोना के नाम पर हवाबाजी कर रही है"। 135 करोड़ की आबादी वाले देश भारत में अगर देखा जाए तो जितनी मौतें कोरोना के कारण हो रही है उससे कहीं ज़्यादा मौतें रोज़ सड़क दुर्घटनाएँ और मलेरिया, कैंसर, एचआईवी एड्स जैसे गंभीर बीमारियों से होती है जिसका लोगों के पास कोई जानकारी नहीं है। वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के 1 डाटा के अनुसार दुनिया में रोज़ कैंसर से मरने वाले लोगों की संख्या करीब 27000 है जिसका डर लोगों  में बिल्कुल नहीं है और कैंसर के कारणों का इस्तेमाल लोग धड़ल्ले से करते हैं जैसे कि तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, शराब इत्यादि। और उसपर सरकार टैक्सों की वसूली बड़ी ऊँची दर पर आराम से कर रही है। परंतु विभिन्न मीडिया की कृपा से रोज़ सिर्फ़ कोरोना से होने वाली मौतें लोग देख रहे हैं, जो कि उन पर चिंता की लकीरें खींच रही है। लोगों को डर है कि सरकार फिर से पिछले साल की भांति लॉकडाउन न लगा दे। सामान्य आम जनों में यह लॉकडाउन शब्द किसी बड़े संकट से कम नहीं है और इस डर को मीडिया खूब भुना रही है मेरा मानना है की कोरोना की मार्केटिंग मीडिया बंद करें और सरकार को इस पर सख़्त क़दम उठाने की ज़रूरत है। यह बीमारी एक सामान्य बीमारी की तरह अब हमारे बीच रहने आ चुका है। अतः इससे अब डरने की ज़्यादा ज़रूरत नहीं है। हाँ, हालाकी इससे बचने की ज़रूरत जरूर है इसके लिए हमें सावधानी बरतने हैं जैसे कि ख़ुद को साफ सुथरा रखना, मास्क लगाना, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना और अपनी बारी आने पर टीका ज़रूर लगवाना। इससे लोगों में डर कम होगा क्योंकि लोग बीमारी से कम और डर से ज़्यादा मर रहे हैं।

परमजीत कुमार चौधरी - मुजफ्फरपुर (बिहार)

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