संदेश
कोरोना पर लापरवाही - मुक्तक - संजय राजभर "समित"
न हिन्दू न ही मुसलमान देखता है। न ईमान न बेईमान देखता है। छुआछूत ही है कोरोना की प्रकृति- न भाषा न क्षेत्र इंसान देखता है। कुछ लोग ज…
अवधपति! आना होगा - रोला छंद - डॉ. अवधेश कुमार अवध
प्राची का पट खोल, बाल सूरज मुस्काया। भ्रमर कली खग ओस बिंदु को अतिशय भाया।। जागी प्रकृति तुरन्त, हुए गायब सब तारे। पुनः हुए तैयार, विगत…
एहसान - कविता - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
कोरोना को रोकने, वैक्सीन बन के आ गई। संजीवनी सी समूचे, समुदाय मन ये छा गई।। जानें हज़ारों ले चुका जो, रोज़गार लाखों खा चुका जो। शिक…
पुराने संस्कार - लघुकथा - समुन्द्र सिंह पंवार
दादी जी के चेहरे की दिनों दिन बढ़ती चमक देख कर सब घर वाले हैरान हैं पर समझ नहीं पा रहे हैं और ना ही पूछने की हिम्मत कर पा रहे हैं। क्यो…
तुमको जीना होगा - कविता - श्रवण निर्वाण
बेशक! अपनों को खो दिया, आगे बढ़ना होगा ख़्वाब अधूरे हैं बहुत, उन्हें तो पूरा करना होगा। विपदा आई है, दुःख लायी इन्हें तो सहना होगा टूटा …
ज़िंदगी जीत जाएगी - कविता - गजेंद्र कुमावत "मारोठिया"
अमावस की काली रात के बाद, पूनम की चाँदनी छाएगी, तुम डरना मत... काली रात के बाद, फिर एक सुनहरी सुबह आएगी, मौत के इस मैदान में, ज़ि…
कोरोना का क़हर - कविता - राम प्रसाद आर्य
कम नहीं हो रहा, कोरोना का क़हर, परेशां हर गली, गाँव हो या शहर। मास्क मुँह हर किसी के, है चारों पहर, फिर भी बीमार बढ़ते, बढ़ रही मृत्…
तुमसे कुछ है कहना - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
अब हो न जाय फिर से दूरी तुम सब से कुछ है कहना, कोरोना से दूरी को मास्क लगाए रहना। आपा धापी हो कितनी भी तुम रखना दो गज दूरी, यह जीवन…
काश वो दिन लौट आए - कविता - विकाश बैनीवाल
काश वो दिन फिर लौट आए, बंधन मुक्त मिलकर ख़ुशी मनाए। जल्द बीमारी से छुटकारा मिले, कि समूह में बैठकर गीत गाए। काश वो दिन फिर लौट आए, …
युद्ध अभी शेष है (भाग ५) - कहानी - मोहन चंद वर्मा
अगले दिन सुबह सम्राट अकेल ही घोडे पर सवार होकर गुरू के पास गए। गुरू शिष्यों को जीवन और सत्य का पाठ पढा रहा था। गुरू एक बरगद का बीज लेक…
युद्ध अभी शेष है (भाग ४) - कहानी - मोहन चंद वर्मा
सम्राट रानी के साथ कक्ष में बैठा था। ’’क्या इन नियमों का पालन करने से महामारी चली जाएगी?’’ ’’अगर नियम का पालन ठीक प्रकार से हो तो संसा…
कोरोना का काल बनने दें - ग़ज़ल - कर्मवीर सिरोवा
तन्हाई को लगी हैं उम्र तो लगने दें, जिंदा रहना हैं तो घर पर रहने दें। जिसने बेचा हैं ईमान दूकानदारी में, लानतें आयेगी, अभी कमाई बढ़ने द…
युद्ध अभी शेष है (भाग ३) - कहानी - मोहन चंद वर्मा
दरबार में.... सम्राट: मंत्री जी राज्य में ये कौनसी महामारी फैल रही है। मंत्री: सम्राट जब मुझे इस महामारी की सूचना जैसे ही मिली तो मैने…
युद्ध अभी शेष है (भाग २) - कहानी - मोहन चंद वर्मा
कुछ दिन बाद....... किसी राज्य के सम्राट ने एक व्यापारी मेले का आयोजन करने की घोषना की सम्राट ने ये संदेश सभी देश-विदेश के राजाओं को दी…
युद्ध अभी शेष है (भाग १) - कहानी - मोहन चंद वर्मा
युद्ध में विजय होकर लौटे सम्राट की जय-जय कार होने पर सम्राट ने प्रजा से कहा, जय-जय कार केवल मेरी नहीं इन सभी सैनिको की करो। इनकी बाहदु…
हरि हर लो पीर हमारी - कविता - रमाकांत सोनी
हे परमेश्वर हे भगवान दीन बंधु हे दया निधान जगतपति जग पालन कर्ता संकट मोचन सब दुख हर्ता। सृष्टि नियंता हे गिरधारी नटवर नागर चक्रधार…
कितना और जगाएंगे? - लेख - सतीश श्रीवास्तव
कोरोना क्या आया सब-कुछ अस्त व्यस्त हो गया है। क्या पर्व क्या त्यौहार सबके मायने ही बदल गये। शादियों में आमंत्रित करने की भी सरकारी गाइ…