संदेश
पश्चाताप - कविता - अवनीत कौर "दीपाली सोढ़ी"
पश्चाताप के बेहिसाब आँसू न मिटा सकें दोष मेरे मन का भरा पड़ा हैं, गुबार दिल में हिला दिया आस्तित्व मेरे मनोबल का हताश सा हूँ, बेइंतहा …
कोई तुम्हारा नहीं लगता - ग़ज़ल - प्रवीन "पथिक"
तुम्हारा हर दिन का रूठना गंवारा नहीं लगता। मेरा हर दिन का मनाना प्यारा नहीं लगता।। आख़िर कौन-सी बात है जो नापसंद है तुझे। चाहे जितना प…
नामुराद - कविता - तेज देवांगन
तू बेअसर, या मै नामुराद हो गया। तू भी न बदली, मै भी न बदला, ना जाने फिर कोई क्यूँ तेरा साद हो गया। इश्क़ वहीं था, दर्दे मोहब्बत, ना जान…
धूमिल छाया - कविता - प्रवीन "पथिक"
धूमिल पड़ गई वो छाया! कभी खुशियाँ थी फैलाती; फूलों-सा थी महकाती; नीरव करके जीवन को, मिट गई कभी थी साया। धूमिल पड़ गई वो छाया! सूना सून…
कुहासा - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
क्या कहूँ? मेरी जीवन में तो हमेशा ही छाया रहता है, बेबसी, लाचारी, भूख का कभी न मिटने वाला कुहासा। औरों का तो छंट भी जाता है मौसम…
सोच लिया - गीत - महेश "अनजाना"
अब ना लिखेंगे खत तुमको कभी। ना करेंगे मुहब्बत, तुमको कभी। वफ़ा तो कभी न तूने है निभाई। न मुझको पता कि तू है हरजाई। ना रहेगी…
दम निकल रहा - कविता - बिट्टू
गर होती मुलाकात सपनों में भी उनसे फिर भी पहले जैसी आती वो देर हमसे। मेरी जिंदगी मानो यूँ कट रही आज कल क़त्ल कोई कर जाये तो इन्ज़ाम त…
शब-ए-ग़म - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
मुझसे रूठकर तुम यूँ चले गये, मानो तन को जिंदा लाश बना गये। सारी तमन्नाएं मेरी दफ़न हो गयी, मेरी क़िस्मत शब-ए-ग़म बन गयी। दिल की धड़कनें मै…
शब-ए-ग़म - कविता - पवन गोयल
तेरा हाथ क्या छूटा तेरा साथ भी छूट गया जो पाया था तेरे साथ से वो मक़ाम भी अब छूट गया।। इंसानियत पाई थी तेरे अक्ष से दो कदम चल पाई थ…
सुना है कि तुम - कविता - कपिलदेव आर्य
सुना है कि तुम पाई-पाई का हिसाब रखती हो, अपनी बड़ी दुकान में ऊंचा मुक़ाम रखती हो! सुना है, तुमने हीरे-जवाहरात बेशूमार जुटा लिये, पर ब…
क्या कभी ऐसा होगा - कविता - चीनू गिरि
क्या कभी ऐसा होगा, मैं तुम्हें सोचू और तुम आ जाओ! क्या कभी ऐसा होगा, मैं तुम्हें सोचू और तुम्हें खबर हो जाएं! क्या कभी ऐसा होगा, तुम्ह…
खुशियाँ हों या ग़म - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
मैं तुममें, तुम मुझमें प्रियतम इक दूजे को क्यों ढूँढें हम रोज़ मिलेंगे उसी तरह हम पंखुड़ियों से जैसे शबनम हम -तुम आपस में बाँटें…
गम उसका नहीं था - कविता - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
सुबह नींद देर से खुली गम उसका नहीं था रात को देर से सोया गम उसका भी नहीं था। वह कल मिला था अपने बरामदे मे चारपाई पे बैठा मन ही मन कुछ …
दूर है न पास है - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
ये दिल बहुत उदास है, न भूख है, न प्यास है न मन्ज़िलों की है ख़बर न मिलने की भि आस है समझ को छोड़कर गयी, समझ ग़ज़ब हुआ सुनो वो ग़ैर है कि मीत…
काश मुझे समझ पाते - कविता - शेखर कुमार रंजन
मैंने दिल में आपको रहने की इजाजत दी है बस इसलिए हर रोज हम बेवजह मर रहे है आप पर आँखें बंद करके की हैं भरोसा मैंने शायद इसलिए दिन रात ह…
मेरा न यूँ दिल तोड़ना था - मुक्तक - राहुल सिंह "शाहावादी"
हर किस्म का तुम सनम, इल्जाम मुझपर थोप देते। पर वफा करके मेरे संग, तुमको न ऐसे छोड़ना था। प्यार में जो मांग लेते,…
भूल जाने वाले - गीत - प्रमोद कुमार "बन्टू"
छोड़ कर साथ जाने वाले याद आ रहे भूल जाने वाले क्या कमी थी मेरे प्यार में, साथ मरने की कसम खाने वाले मैं तुझे ही तो प्यार…
मुझको ना भूल पाओगे - कविता - शेखर कुमार रंजन
ज़ख्म सच में तुम्हें हैं, तो मलहम लगा दू तुझे इससे पहले की कोई और नमक, लगा दे तुझे हमदर्द बनकर गुजारी हैं जिंदगी मैने सारे दर्द य…
यकीन आपको दिलाऊँ कैसे - गीत - चंदन कुमार अभी
जान से ज़्यादा आपको ही चाहा , यकीन आपको दिलाऊँ कैसे? जान बना लिया हूँ आपको , अब बिना जान के जी पाऊँ कैसे? देखें नहीं हो कभी आ…
कर दिया यूँ बेसहारा - गीत - राहुल सिंह "शाहावादी"
इस विरह की वेदना मे, जल रहा हूँ आज तक मेैं । सुर्ख होठो को हँसी, छङ भर न छू पाती कभी भी, साथ तेरा गर जो होता, …