सोच लिया - गीत - महेश "अनजाना"

अब ना लिखेंगे खत तुमको कभी।
ना  करेंगे  मुहब्बत, तुमको  कभी।


वफ़ा  तो  कभी न  तूने है निभाई।
न मुझको पता कि  तू  है हरजाई।
ना रहेगी शिकायत, हमको कभी।
ना  करेंगे  मुहब्बत, तुमको कभी।


वादे  कसम  का  सिलसिला छूटे।
किसी के ग़म  में  ना  ये  दम घूटे।
ना होगी  अदावत, हमको कभी।
ना करेंगे  मुहब्बत, तुमको कभी।


अब तुम्हारे बिना ही जी लेंगे हम,
ज़ख्म सीने का खुद सी लेंगे हम।
ना  रहेगी इनायत, हमको कभी।
ना करेंगे मुहब्बत, तुमको कभी।


इश्क़  दोबारा कभी न फरमाएंगे।
लाख चाहे  हुस्न कभी न जाएंगे।
ना  रहेगी  चाहत, हमको  कभी।
ना करेंगे मुहब्बत, तुमको कभी।


महेश "अनजाना" - जमालपुर (बिहार)


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