जल रहा हूँ आज तक मेैं ।
सुर्ख होठो को हँसी,
छङ भर न छू पाती कभी भी,
साथ तेरा गर जो होता,
तो मिल गया होता किनारा ।।
कर दिया यूं बेसहारा ।।
दीप बन ज्योती जलाई,
प्यार मे तुमने कभी थी ।
चांदनी होती कभी थी,
चांद सी मेरे भी घर में ।
बस तनिक सी चोट खाकर,
प्यार कर नाता बिसारा ।।
कर दिया यूँ बेसहारा ।।
आज भी मानस पटल पर,
चित्र तेरा चल रहा है ।
कुछ पलों के उस मिलन मे,
साथ मिलकर जी रहा हूं ।।
कर दिया यूँ बेसहारा ।।
राहुल सिंह "शाहावादी" - जनपद, हरदोई (उत्तर प्रदेश)