संदेश
आखिरी चिराग़ बन जलती रही - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ऐ! प्रियतम ,आज फिर आयी कहीं से तुम्हारी तड़पती पुकार, अश्रु धार से कपोल नम है मेरे, अवरुद्ध सा कण्ठ नयनों में नीर, सुलगती सी वि…
गम - कविता - शेखर कुमार रंजन
जमाने ने जमाने को, जमाना सीखा दिया एक हँसते खेलते बालक को, रोना सीखा दिया। सुबह तन्हा शाम तन्हा, दोपहर भी तन्हाई में बीतने लग…
नींद चुराने वाले - ग़ज़ल - दिलशेर "दिल"
दिल की दहलीज़ पे चुपचाप से आने वाले। कौन है तू ये बता नींद चुराने वाले।। मेरे खिलते हुए गुलशन को जलाने वाले। क्या मिला …
दर्द - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
दर्द के गाँव में आशियाना मेरा । अश्क़ से ख़ास है दोस्ताना मेरा।। जिसपे था घोंसला वो शजर कट गया, दर-व-दर हो गया फिर ठिकाना मेर…
उम्मीद - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
हँसने की उम्मीद नहीं, दिखती है चेहरे पर । पहले सी तस्वीर नहीं, बनती है चेहरे पर ।। कुछ अन्जानी पीर भरी है, इस मन के भीतर, बस अब …
मेरे बगैर - कविता - नौशीन परवीन
रब ने हमारे रास्ते अलग कर दिये तो क्या वो हम से दूर हो गए तो क्या एक सवाल आज भी पूछता है दिल मुझसे किसी राह में किसी मोड़ पर ह…
सच मगर अब यहाँ नहीं चलता - ग़ज़ल - दिलशेर दिल
तुमने एक बार भी नहीं सोचा। बिन तुम्हारे हमारा क्या होगा। तुम तो उलझे हो ज़िंदगी में मगर, ज़िंदगी है महज़ इक धोका। झूट बोलूँ तो दि…
अधूरी कहानी - गीत - बजरंगी लाल यादव
खता क्या हुयी तुम जु़दा हो गयी, छोड़कर साथ मेंरा,अलव़िदा कह गयी। हम तो सीने से तुमको लगाए रहे, तोड़ कर दिल मेरा बेवफ़ा हो गयी।। …
तू ही तू - कविता - शेखर कुमार रंजन
ना जाने क्यू ना जाने क्यू मुझे दिखती हैं तू ही तू मेरा रास्ता तू ही है मेरी मंजिल तू ही है ऐसा मुझे क्यू लगे तू ही बता ए दिलर…
कहानी कैसी - कविता - नौशीन परवीन
अब तेरे-मेरे अरमानों की कहानी कैसी उजड़ गये सपनों की कहानी कैसी जब बिछड़ गयें तो बिछड़ने की शिकायत कैसी दर्द-ए-जुदाई ही …
याद - कविता - चीनू गिरि
जब से तुम छोडकर गये , हमे तेरी याद बहुत आये .... रोज तकिये गीले हो जाते, हमे तेरा प्यार बहुत रुल…
छोड़ो भी - ग़ज़ल - अजय अंजाम
तुम क्या मुझसे प्यार करोगे,छोड़ो भी इस पागल को दिल दे दोगे, छोड़ो भी मेरा दिल है एक खिलौना,मालूम है तुम भी थोड़े दिन खेलोगे,छोड़ो भ…
सनम बेवफ़ा - ग़ज़ल - डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"
सनम बेवफ़ा तू दामन छोड़ दे , दिए ज़ख़्म गमों पे मुझे छोड़ दे, ढाए सितम को जरा याद करना, रहना खुश सदा तुम मुझे छोड़ दे । मैं थ…
हक़ीक़त तो कुछ और थी - कविता - कुमार सौरव
आज मालूम पड़ा गनीमत हक़ीक़त तो कुछ और थी तेरे हर एक अश्क़ की सूरत तो कुछ और थी यू सासों का थमना रूह जा तिलमिल…