ममता शर्मा "अंचल" - अलवर (राजस्थान)
खुशियाँ हों या ग़म - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
गुरुवार, अक्टूबर 22, 2020
मैं तुममें, तुम मुझमें प्रियतम
इक दूजे को क्यों ढूँढें हम
रोज़ मिलेंगे उसी तरह हम
पंखुड़ियों से जैसे शबनम
हम -तुम आपस में बाँटेंगे
दामन में खुशियाँ हों या गम
दिल से दिल की बातें होंगी
वक़्त मिले चाहे जितना कम
हम-तुम दोनों यूँ हो जाएँ
एक ज़ख़्म हो और इक मरहम
आओ आपस में खो जाएँ
कहलाएँ हम सच्चे हमदम।।।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
सम्बंधित रचनाएँ
जो सच सबको बताना चाहता हूँ - ग़ज़ल - अरशद रसूल बदायूनी
सिर्फ़ मरते हैं यहाँ हिन्दू, मुसलमाँ या दलित - ग़ज़ल - सूर्य प्रकाश शर्मा 'सूर्या'
सीने से जो लगाता था तस्वीर क्या हुई - ग़ज़ल - ममता गुप्ता 'नाज'
मौसम है हर साल बदलते रहता है - ग़ज़ल - हरीश पटेल 'हर'
मार डालेंगी हमें उनकी यही अठखेलियाँ - ग़ज़ल - सैय्यद शारिक़ 'अक्स'
कैसे आवाज़ हमारी वो दबा सकते हैं - ग़ज़ल - अरशद रसूल
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर