संदेश
माँ - कविता - गणेश दत्त जोशी
माँ तो माँ है, माँ का कोई नहीं सानी, माँ मिठास है मिश्री की, माँ है गुड़ धानी। माँ से ममता, माँ से क्षमता, माँ ही तो है वो जो सबसे पहल…
माँ का आँचल - गीत - महेश कुमार हरियाणवी
थाम के दुःख का दामन, जो दुनिया दिखलाती हैं। सच, माँ तो केवल माँ है, हर दुखड़े हर जाती हैं॥ जिस आँचल के दूध तले, इस जीवन की आस पले। ला, …
प्यारी माँ - कविता - मेहा अनमोल दुबे
प्यारी माँ! तुम बहुत याद आती हो, जब दिन ढलता है, जब नवरात्र का दिपक जलता है, जब साबुदाने खिचड़ी कि ख़ुशबू उडती है, जब हृदय मे पीड़ा होती …
माँ - कविता - विजय कुमार सिन्हा
शरीर के रोम-रोम में बह रहा है माँ का दूध लहू बनकर। यह एक ऐसा क़र्ज़ है जो कभी उतर नहीं सकता। बड़ी ही मीठी बोल है माँ। अच्छे-बुरे क…
अन्तर्मन पुलकित मातृत्व भाव - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अन्तर्मन पुलकित मातृत्व भाव, पूर्ण नारीत्व सृजन तन होता है। अनुभूति सकल सुख शुभ जीवन, सुख सन्तान प्राप्ति मन छाता है। नारीत्व सफल …
माँ - कविता - युगलकिशोर तिवारी
जब याद तेरी मुझे आती माँ नयनों से आँसू आते हैं बचपन में जब मैं रोता था आँचल से तेरे पोंछा था अब नीर नयन में आते हैं वो शीतल आँचल कहाँ …
माँ - कविता - देवेश द्विवेदी 'देवेश'
1. आज नहीं जो हो पाती है, बेशक कल हो जाती है। माँ जब साथ में होती है, हर मुश्किल हल हो जाती है। बस मेहनत की रोटी खाना, कह हाथ फेरती है…
माँ - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
हमारे हँसने से जो हँसती है, रोने से जो रोती है। है कौन भला इस दुनिया में, ऐसी एक माँ ही होती है। हर दुःख के साए को जिसने, अपने आँचल मे…
माँ - कविता - मेहा अनमोल दुबे
अब केवल स्मृतियों में शेष, जीवन के अन्तर्भाव में निहित, हर लेखनी कि अन्तर्दृष्टि में, अब संसार कुछ नहीं, बस तुम सब जगह शेष हो, गंध और …
माँ - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
माँ का क़र्ज़ भूल ना जाना बचपन याद करो, अपना फ़र्ज़ भूल ना जाना बचपन याद करो। ममता ने जब छाँव करी जब कड़ी धूप छाई, निज आँचल में छिपा लिया ज…
माँ तो इक संसार है - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज' | माँ पर दोहे
माँ तो इक संसार है, ममतांचल उद्गार। प्रेम दया करुणा क्षमा, परमधाम सुखसार॥ आज अकेला हूँ पड़ा, माँ ममता बिन शुन्य। छाँव कहाँ स्नेहिल हृद…
माँ की ममता - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आँचल में छुपाकर के अपने, ममता के स्नेह से नहलाती है, पाल पोस अपना जीवन दे, प्रिय सन्तति मनुज बनाती है। करुणामय माँ सुनहर सपने, सन्ता…
मूल चुका ना पाओगे - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी | माँ पर कविता
तुम कितने भी बड़े हो जाओगे, पर मूल ना चुका पाओगे। तुम करो गलतियाँ हज़ार पर माँ की बददुआ, कभी ना पाओगे। माँ ने कितने कष्ट सहे है, तुम्हा…
ममतामयी माँ की आँचल - कविता - विपिन चौबे
मैं अपने छोटे मुख से कैसे करूँ तेरा गुणगान, माँ तेरी ममता की आगे फीका सा लगता भगवान। तूने ही तो हाथ पकड़ कर माँ चलना मुझे सिखाया है, व…
मेरी माँ - कविता - अनूप अंबर
मेरी ख़ुशी में ख़ुश हो जाती, मेरे दर्द पे वो रोती है। माँ जैसा कोई भी नहीं, माँ ममता की मूरत होती है॥ ख़ुद भूखी रहती है पर, वो पहले मुझे …
पुत्र का संदेश - गीत - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
ओ चतुर कागा! हमारे गाँव जाना। पुत्र का संदेश उस माँ को सुनाना। मातु से कहना कि उसका सुत कुशल है, याद वो करता उन्हें हर एक पल है। छोड़ द…
बेटी - लघुकथा - डॉ॰ यासमीन मूमल 'यास्मीं'
(ऑल इंडिया अस्पताल का कैंसर वार्ड) याशी - माँ अब कैसी तबियत है? माँ - घबराओं नहीं बेटा बेहतर हूँ। याशी - मगर... माँ मुस्काते हुए पगली …
गँवईयत अच्छी लगी - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
माँ को न शहर अच्छा लगा न न शहर की शहरियत अच्छी लगी, वो लौट आई गाँव वाले बेटे के पास के उसे गाँव की गँवईयत अच्छी लगी। ममता भी माँ से थो…
दर्द-ए-नौकरी - कविता - ऋचा तिवारी
हर रोज़ की मुश्किल ये भी है, ये दर्द किसे बतलाए हम। एक मासूम से दिल को कैसे, रोज़ भला बहलाए हम। घर से निकले जब, जानें को, वो हाथ पकड़, य…
माँ - कविता - अमरेश सिंह भदौरिया
ज़िंदगी के अहसास में वो हर वक्त रहती, कभी सीख बनकर कभी याद बनकर। दुनिया में नहीं दूसरी कोई समता, सन्तान से पहले जहाँ जन्म लेती ममता…
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