संदेश
समुद्र मंथन - कविता - पायल मीना
देव और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन रचाया था, क्षीरसागर के मध्य में मंदरांचल पर्वत को लाया था। वासुकी नाग को बनाकर जेवरी शुभारंभ मंथन …
तू तो मैं में, मैं में तू तू - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
जब से तेरी लगन लगी है कुछ भी और नहीं भाता। भाना तो अब दूर जगत से टूट गया झूठा नाता॥ रोम-रोम में हुलक मारती पुलक न जाने क्या कर दे। …
शिव ही सत्य है - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दुनियाँ शिव ही सत्य है, महिमा अपरंपार। अन्तर्मन विश्वास से, हों प्रसन्न ओंकार॥ सदा अजन्मा चिरन्तन, बाघम्बर वागीश। भक्ति प्रेममय शिव…
रामत्व - कविता - महेश कुमार हरियाणवी
कर्म: पावन नाम को पावन गाएँ, मिल-मिल कर सब ही दोहराएँ। कर्मों की जग करता पूजा, राम नाम हैं जीवन दूजा॥ प्रण: साथ के संगी छूट न जाएँ, …
आ भी जाओ श्याम - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
तुम बिन रहा न जाए अब, आ भी जाओ श्याम। तरस रही मुरली श्रवण, मैं राधे प्रिय वाम॥ तुम साजन माधव मदन, मैं राधे रति श्याम। केशव की कुसुम…
भाव - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
तुममें और मुझमें बस एक समानता है, तुम भाव के भूखे हो और मैं भी। माना के तुम्हारे भाव और मेरे भाव में अंतर है ज़मीं आसमाँ का पर शब्द तो …
श्री जगन्नाथ जी महिमा - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रथयात्रा पावन नमन, जगन्नाथ श्रीधाम। नैन युगल कंजल कमल, दर्शन कोटि प्रणाम॥ बहन सुभद्रा चारुतम, संग दाऊ बलराम। तिहूँ सुशोभित पृथक् रथ…
श्री काशी विश्वनाथ धाम - गीत - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
शंकर के त्रिशूल पर बसी, हे काशी, हो तुम कितने पावन धाम। 2 भोले बाबा जहाॅं स्वयं स्थापित कर, बनाए ज्योतिर्लिंग श्री काशी विश्वनाथ धाम। …
भक्त और भगवान् - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अनुपम मधुरिम अरुणिमा, शुभ प्रभात उत्थान। पूजन वन्दन शुद्ध मन, भक्त और भगवान्॥ खिले कुसुम सरसिज सरसि, कुसुमाकर वरदान। भक्ति भक्त चित…
बाबा बैद्यनाथ धाम - गीत - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
ज्योतिर्लिंगों में है, एक लिंग, है वो बाबा बैद्यनाथ धाम। बाबा बैद्यनाथ धाम 2 मनोकामना लिंगों में है, एक लिंग, है वो बाबा बैद्यनाथ धाम।…
परशुराम अवतार - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
परशुराम भगवान जी, श्री हरि के अवतार हैं। अमर रहेंगे वह सदा, जब तक ये संसार है। धन्य-धन्य जमदग्नि जी, धन्य हुई माँ रेणुका। जिनके गृह मे…
हरि वन्दना - गीत - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
जय हो तुम्हारी हे माधव मुरारी, जय हो सदा हे जग बलिहारी। सुमिरन तुम्हारी करता सदा हूँ, छाया में तुम्हारी रहता सदा हूँ। कितनी महिमा तुम्…
लगे हाथ पुण्य - लघुकथा - ईशांत त्रिपाठी
घर के चौखट पर दस्तक देने पर प्रतिदिन वाली कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। कार्यालय के चाकरी से थका साहिल स्वयं भीतर जाकर सबके मृत मन के हृद…
ओ मेरे साँवरे रे - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रूप सलोने यशुमति कान्हा, ओ मेरे लला साँवरे रे। मनमोहन गिरिधर नागर तू, लावण्य रूप निहारे रे। लीलाधर बहुरुपिया कान्हा, नंदज तू राजद…
राम खिवैया मेरी नैया - गीत - मयंक द्विवेदी
राम खिवैया मेरी नैया माली जीवन उपवन का, राम है माँझी भवसागर का भवसागर तर जाएगा। पत्थर शीला नारी बन गई तेरे चरण के वंदन से, मेरा जीवन च…
हरि आन बसो मोरे मन में - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'
हरि आन बसो मोरे मन में। हरि तुम ही तो हो मोरे मन में॥ मथुरा खोजा, गोकुल खोजा, हर मंदिर में हर मूरत में। प्रभु जा के मिले निश्चल मन में…
मन में राम बसे हैं - कविता - पंकज कुमार दीक्षित
जो मात-पिता की सेवा करता, उस मन में धाम बसे हैं। वो भव से पार हुए जिनके, मन में राम बसे हैं॥ चक्र सृष्टि का चलता आया, जन्म मृत्यु फिर …
इगास पर्व उत्तराखंड - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
"भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू, उज्यालू आलो अंधेरो भगलू" इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए,भैलों खेलते, गोल-घेरे मे…
एक अर्घ्य शौर्य को - कविता - गोकुल कोठारी
असंख्य सूर्य रश्मियों से प्रदीप्त ये धरा, तेजवान के लिए क्या तिमिर क्या जरा। सैकड़ों हों घटा या सैकड़ों हों ग्रहण, वो बिखेरे किरण कर र…
हे सूर्य देव! - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
हे सूर्य देव! हे ज्योतिपुंज! तमतोम मिटा दो जीवन का। ज्योतिर्मय राहें दिखला दो, दुःख क्लेश मिटा दो जीवन का। तुमसे ही है ये जग निरोग, त…