शंकर के त्रिशूल पर बसी, हे काशी,
हो तुम कितने पावन धाम। 2
भोले बाबा जहाॅं स्वयं स्थापित कर,
बनाए ज्योतिर्लिंग श्री काशी विश्वनाथ धाम।
श्री काशी विश्वनाथ धाम 2
ओउम् श्री विश्वनाथम् 2
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्।
भज विश्वनाथम् 3
काशी है त्रिदेव की नगरी,
नहीं इसके जैसा कोई दूजा धाम।
भोले बाबा श्री विष्णु से माॅंग,
बनाए अपना यहाॅं निवास स्थान।
देवों की इस देव नगरी में ही,
काल भैरव को मिला, कोतवाल का स्थान।
शंकर के त्रिशूल पर बसी, हे काशी,
हो तुम कितने पावन धाम 2
काल भैरव को मिली थी मुक्ति,
आए थे जब वो काशी धाम।
जन्मों के पापों से मिले मुक्ति,
पाए जो काशी में बाबा के दर्शन मात्र।
भोले बाबा के तारक मंत्र से ही,
सबको काशी मिला, मोक्ष तीर्थस्थली का स्थान।
शंकर के त्रिशूल पर बसी, हे काशी,
हो तुम कितने पावन धाम 2
डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा - राँची (झारखंड)