हरि आन बसो मोरे मन में - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'

हरि आन बसो मोरे मन में।
हरि तुम ही तो हो मोरे मन में॥

मथुरा खोजा, गोकुल खोजा,
हर मंदिर में हर मूरत में।
प्रभु जा के मिले निश्चल मन में,
प्रभु दर्श दिए अंतः मन में।

हरि आन बसो मोरे मन में।
हरि तुम ही तो हो मोरे मन में॥

है प्रेम की बंसी बजत रही,
भक्ति की मन में अलख जगी।
हरि दिन हो तुम्हीं, हरि रात तुम्हीं,
हरि मन के सभी आह्लाद तुम्हीं।

हरि आन बसो मोरे मन में।
हरि तुम ही तो हो मोरे मन में॥

है तुझमें ही सारी शक्ति,
हाँ तुम से ही सारी सृष्टि।
हरि तन में तुम्हीं, हरि मन में तुम्हीं,
हर साँस में हर क्षण में तुम्हीं।
            
हरि आन बसो मोरे मन में।
हरि तुम ही तो हो मोरे मन में॥

हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल' - कोरबा (छत्तीसगढ़)

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