संदेश
नारी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
नवदुर्गा नवशक्ति है, सुता वधू प्रिय अम्ब। लज्जा श्रद्धा पतिव्रता, नारी जग अवलम्ब॥ करुणा ममता हिय दया, क्षमा प्रेम आगार। प्रतिमा नित…
प्रेम मिलन परिणीत हिय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अनुबन्धन मधुमास प्रिय, कहाँ छिपे चितचोर। बासन्ती मधुरागमन, प्रेम नृत्य प्रिय मोर॥ कोमल प्रिय ललिता लता, मैं कुसुमित नवप्रीत। नव वसन…
हिंदी भाषा - दोहा छंद - संगीता गौतम 'जयाश्री'
माँ जैसी ममतामयी, पिता जैसा दुलार। गुड़ जैसी मीठी लगे, मिश्री जैसी बहार॥ रस में जैसे आम है, शक्कर जैसा घोल। बहता है मीठा शहद, निकले जब …
माँ तो इक संसार है - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज' | माँ पर दोहे
माँ तो इक संसार है, ममतांचल उद्गार। प्रेम दया करुणा क्षमा, परमधाम सुखसार॥ आज अकेला हूँ पड़ा, माँ ममता बिन शुन्य। छाँव कहाँ स्नेहिल हृद…
ख़ुशियों के दीपक जले - दोहा - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज' | दीवाली पर दोहे
ख़ुशियों के दीपक जले, जग मग जगमग लोक। मिटे तिमिर अज्ञान का, रोग मोह मद शोक॥ ख़ुशियों के दीपक जले, बाल अधर मुस्कान। घर आँगन सब स्वच्छ …
जय गाँधी शास्त्री नमन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज'
सत्य त्याग शालीनता, कर्म धर्म समुदार। गाँधी शास्त्री युगल वे, स्वच्छ न्याय आधार॥ मार्ग अहिंसा विजय का, जीवन उच्च विचार। जीया जीवन स…
कान्हा कृष्ण मुरारी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अभिनंदन कान्हा जनम, विष्णु रूप अवतार। बालरूप लीला मधुर, शान्ति प्रेम रसधार॥ नंदलाल श्री कृष्ण भज, वासुदेव घनश्याम। कर्मवीर पथ सारथी…
आराधन श्री कृष्ण का - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
हे! अर्जुन के सारथी, हे! गिरिधर गोपाल। नंदलाल यशुमति लला, राधा प्रीत निहाल॥ कृष्ण लाल प्रिय राधिका, प्रथम प्रीत मनमीत। युवा वयसि सख…
वृक्ष महिमा - दोहा छंद - हनुमान प्रसाद वैष्णव 'अनाड़ी'
धरती को दुख दे रहे, धूल,धुआ अरु शोर। इनसे लड़ना हो सुलभ, वृक्ष लगे चहु ओर॥ विटप औषधी दे रहे, रोके रेगिस्तान। तरुवर मीत वसुन्धरा, कलियुग…
आज़ादी का पर्व - दोहा छंद - द्रौपदी साहू
वीरों के संघर्ष से, मुक्त हुआ जब देश। लहर उठी आनंद की, दूर हुआ सब क्लेश॥ आज़ादी का पर्व है, करते सब सम्मान। मन में भर उत्साह से, गाते ह…
आज़ादी महोत्सव - दोहा छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
आज़ादी के दीप का, घर-घर हो उजियार। कर अभिनंदन देश का, लगा तिरंगा द्वार।। नेक-नेक सोचों सभी, करो देश हित नेक। आज़ादी के जश्न का, सभी करो …
नारी - दोहा छंद - भाऊराव महंत
रोक सको तो रोक लो, नारी की रफ़्तार। अब पहले जैसी नहीं, वह अबला लाचार॥ जब नारी चुपचाप थी, दिखता था संस्कार। बदतमीज़ लगने लगी, बोली जिस दि…
पतंग, परींदे, भंवरा - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मधुर मास वन माधवी, आगम नवल वसन्त। उड़े पतंगा कुसुम पर, भंवरा गूंज दिगन्त॥ सुरभित यौवन कुसुम का, देख भ्रमर मंडराय। सतरंगी ये तितलिया…
साथ निमाएँ उम्र भर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दाम्पत्य प्रणय मन माधवी, माघी माह वसन्त। मनमोहन माधव मधुर, सुरभित सुमन अनन्त।। साथ निभाए उम्र भर, हम जीवन की साज। सतरंगी ग़म या ख़ुशी, प…
निभा फ़र्ज़ अपना मनुज - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
क़र्ज़ चुका सब स्वार्थ में, नहीं बड़ा सत्काम। दिया जन्म अस्तित्व जो, पिता मातु सम्मान।। पूत रहे सुख चैन से, मातु पिता नित चाह। हो पूर्ण न…
कवि निकुंज उद्गार हिय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सादर प्रमुदित नमन शुभ, हिन्दी वासर विश्व। खिले चमन हिन्दी वतन, रहे मनुज अस्तित्व।। शारद सरसिज सुरभिता, हिन्दी काव्य निकुंज। कीर्ति सुर…
कल्याण - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शीताकुल कम्पित वदन, नमन ईश करबद्ध। मातु पिता गुरु चरण में, भक्ति प्रीति आबद्ध।। नया सबेरा शुभ किरण, नव विकास संकेत। हर्षित मन चहुँ प्…
परिवर्तन जीवन कला - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सबको शुभ प्रातर्नमन, मंगल हो शुभकाम। हर्षित पौरुष जन धरा, भक्ति प्रीति हरि नाम।। हरित ललित कुसुमित प्रकृति, निर्मल भू संसार। सज पादप प…
बात - दोहा छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
कौन कहाँ अति बोलता, कौन कहाँ सहि लेत। सहिष्णुता भारी पड़ी, चक्रवात सम बेंत।। बात होत है मधुकरी, प्राण देय बल गात। अपशब्दन की कोठरी, जस…
अभिनंदन मेहमान का - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मातु पिता जयगान हो, जय गुरु जय मेहमान। भक्ति प्रेम जन गण वतन, ईश्वर दो वरदान।। अभिनंदन मेहमान का, हो स्वागत सम्मान। मधुर भाष मुख हास …
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर