आज़ादी महोत्सव - दोहा छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'

आज़ादी के दीप का, घर-घर हो उजियार।
कर अभिनंदन देश का, लगा तिरंगा द्वार।।

नेक-नेक सोचों सभी, करो देश हित नेक।
आज़ादी के जश्न का, सभी करो अभिषेक।।

तेरह से पंद्रह तलक, हर घर झंडा द्वार।
देश भक्ति के गीत गा, डाल गले में हार।।

प्रभात फेरी हो गलीं, बच्चों का हो शोर।
खेतों में हरियालियाँ, मनों में नाँचे मोर।।

ग़रीब घर ख़ुशियाँ मनें, भरें अन्न भंडार।
भागे मन से वासना, दूर होय व्यभिचार।।

घर-घर झंडा हैं लगें, देश भक्ति संचार।
दिलों-दिलों उठता दिखे, राष्ट्रभक्ति का ज्वार।।

आओ घर-घर से करें, जश्नों की शुरुआत।
आज़ादी उदघोष हो, पी ओ के परभात।।

भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क' - शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)

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