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कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे | Kabir Das Dohe
सब जग सूता नींद भरि, संत न आवै नींद। काल खड़ा सिर ऊपरै, ज्यौं तौरणि आया बींद।। जिस मरनै थै जग डरै, सो मेरे आनंद। कब मरिहूँ कब देखिहूँ,…
मिला झूठ को मान - दोहा छंद - संत कुमार 'सारथि'
चमत्कार दिखला रहा, कलयुग में दिन रात। मिले झूठ को मान है, सच्चाई को मात।। उलटी गंगा बह रही, देखो करके ध्यान। सच्चाई मुँह ताकती, मिला झ…
समरस जीवन सहज हो - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अरुणिम आभा भोर की, खिले प्रगति नवयान। पौरुष परहित जन वतन,सुरभित यश मुस्कान।। नवयौवन नव चिन्तना, नूतन नवल विहान। नव उमंग सत्पथ रथी, बढ़…
चलें जलाएँ दीप हम - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दीपों की महफ़िल सजी, चहुँदिस विजयोल्लास। मुदित सुखी धन शान्ति जग, नवजीवन आभास।। कौशल लौटी जानकी, पटरानी रघुनाथ। दीपक जगमग चहुँ जले, कर…
सफ़ाई - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रखें सफ़ाई गेह हम, स्वच्छ बने परिवार। तभी सफ़ाई देश का, रोगमुक्त आधार।। तजें लोभ इच्छा प्रबल, करें सफ़ाई सोच। मानवता हो भाव मन, हो विचार …
बनता वो सिकंदर - दोहा छंद - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
मिलता है हर्गिज़ नहीं, फ़ुर्सत का कुछ वक़्त। पूजा समझें कार्य को, न समय गंवाए व्यर्थ।। करते हैं चिंता बहुत, सिर पे बोझ अनेक। परहित पर उपक…
माता की जयकार - दोहा छंद - डॉ॰ राजेश पुरोहित
माता तेरे रूप की, महिमा बड़ी अपार। जो जन पूजे आपको, करती बेड़ा पार।। नव रूपों में सज रही, मैया मेरी आज। जयकारे मन से लगे, दिल में बजते स…
आभासी जगत - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
अध्यातम की सीढ़ियाँ, चढ़ना नहिं आसान। हानि लाभ से दूर है, दूर मान सम्मान।। यश अपयश को भूलकर, जपता भगवन नाम। प्रीति रखे भगवान से, जाता…
स्वीकारो माँ वन्दना - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
करें मातु नित वन्दना, माँ दुर्गा नवरूप। ब्रह्मचारिणी शैलजा, जनता हो या भूप।। ज्ञान कर्म गुण हीन हम, क्या जाने हम रीति। मातु भवानी कर क…
बरगद और बुज़ुर्ग तुल्य जगत - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
युवाशक्ति आगे बढ़े, धर बुज़ुर्ग का हाथ। बदलेगी स्व दशा दिशा, देश प्रगति के साथ।। बरगद बुज़ुर्ग तुल्य जग, स्वार्थहीन तरु छाव। आश्रय किसलय …
चलो बचाएँ नदी हम - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
जल जीवन अनमोल है, गिरि पयोद नद बन्धु। तरसे नदियाँ जल बिना, जो जीवन रस सिन्धु।। नदियों का पानी विमल, है जीवन वरदान। पूज्य सदा होतीं जग…
घट - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
घट है माटी से बना, लगा अल्प सा दाम। लू में शीतल वारि दे, आता बहुतों काम।। घट-घट में भगवान हैं, जीव जीव में जान। हर प्राणी भगवान का…
श्री गणेश वन्दना - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
पद सरोज श्रद्धा नमन, करूँ गजानन आज। उमातनय परमेश कुरु, स्वस्ति लोक गणराज।। गणनायक पूजन करूँ, हे अच्युत विघ्नेश। गजमुख वरदायक नमन, ल…
भज रे मन श्रीकृष्ण को - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
नारायण कारा जनम, लिया कंस संहार। असुर कर्म आतंक से, मुक्त किया संसार।। नारायण अनुराग मन, पूत देवकी गेह। भाद्र मास तिथि अष्टमी, वासुदेव…
कृष्ण कन्हैया - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
कालिन्दी तटनी मुदित, खोई राधा प्रीत। मनमोहन माधव मधुर, मीत कृष्ण नवनीत।। देख रही मुरली मधुर, सुनी मधुरिमा गीत। बसी हृदय राधारमण, राधा …
आधुनिक समाज - दोहा छंद - बजरंगी लाल
मुँह पर मीठी बोलते, दिल में रखते द्वेष। ए आस्तीन के साँप हैं, इनसे रहें सचेत।। साथ रहें मिलते सदा, लेते मन का भेद। जिस पत्तल में खात ह…
रक्षाबन्धन - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
राखी का त्योहार यह, बहुत अनूठा पर्व। बहनों को होता सदा, निज भाई पर गर्व।। राखी बाँधे प्रेम से, बहना भाई हाथ। जन्म-जन्म का प्रेम यह, …
शिव साजन सावन मुदित - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
नवकिसलय कुसुमित चमन, सावन मेघ फुहार। गन्धमाद प्रवहित पवन, आए प्रीत बहार।। स्वागत सावन मास का, अभिनन्दन शिवधाम। ग्रीष्मातप आहत धरा, बरस…
सावन - दोहा छंद - दीपा पाण्डेय
धरती माँ दिखला रही, सबको अपना रूप। सावन में बरसात का, होता यही स्वरूप।। नदियों की गति तीव्र है, जाओ कभी न पास। जाने कितने बह गए, थे जो…
मानसून - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज'
छाया नभ घनघोर घन, दग्ध धरा बिन आप। मानसून आग़ाज़ लखि, मिटे कृषक अभिशाप।। मानसून की ताक में, आशान्वित निशि रैन। उमड़ रही काली घटा, कृषक…
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