संदेश
महारथी कर्ण - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
श्रापों और छलों के मध्य, फँसा था वह वीर महान, सूर्यपुत्र कर्ण की गाथा, हर युग में अद्वितीय प्रमाण। धरती का पुत्र, राधा का लाड़ला, धर्म…
माँ गंगे - कविता - आनंद त्रिपाठी 'आतुर'
दुनिया में जब व्यभिचार है तो मैं भला जाऊँ कहाँ, जो तन व मन के कष्ट हैं तेरे सिवा बतलाऊँ कहाँ। तू मातु गंगे पूर्ण है जड़ चेतनों को तारत…
चलो पथिक - कविता - मयंक द्विवेदी
सुगम पथ की राहों पर चलना भी क्या चलना है राह सीधी तो सबने देखी जाँची परखी अपनी मानी कहो दुर्गम अनजानी राहों के मंजर का क्या कहना है! …
मेरी नानी - कविता - उमेश यादव
कमर झुकी है हाथ में डंडा, बड़ी सुहानी लगती हैं। माँ की मम्मी, बड़ी सुंदरी, मेरी नानी लगती हैं॥ बचपन की कुछ मीठी यादें, अब भी मन हर्षाते …
नमक-खोर - कविता - विक्रांत कुमार
उफ्फ़ ये नमक देह जब खटता है पसीना नमकीन होता है और दिमाग़ मधुमेह इस बार जब देह खटेगा तब दिमाग़ ना नमकीन होगा ना मीठा राम कसम सब कुछ फीका…
मैया मैं ठहरा संन्यासी - कविता - भगत
मैया मैं ठहरा संन्यासी भोग विलासी सब संसारी मुझको आत्मसुधा ही प्यारी राम रसायन की हे मैया आत्मा मेरी प्यासी मैया मैं ठहरा संन्यासी इस…
अक्षर अक्षर कहे कहानी - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
अक्षर अक्षर कहे कहानी कही पे सुखा कही पे पानी सहम गए क्यूँ एक छोटी सी ठोकर खाकर ठहर गए चट्टान से थे जो फ़ौलादी पल भर में क्यूँ बिखर गए…
चला बटोही - कविता - मुकेश 'आज़ाद'
दिन निकला और चला बटोही पाने अपनी राह को धूप तेज़ पर बढ़ा बटोही रखने पाँव, छाँव को वो रुका नहीं, वो थका नहीं वो झुका नहीं, वो मिटा नह…
उड़ो तुम लड़कियों - कविता - सुनीता प्रशांत
उड़ो तुम लड़कियों छू लो आसमान कर लो मुठ्ठी में सारा जहान तोड़ दो दीवारे जो रोकती हैं तुम्हे छोड़ दो वो बंदिशे जो बाँधती हैं तुम्हे रूढ…
मेरे पिता - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
अपने पिता के बीते जीवन को जितना जानने की कोशिश करता हूँ अक्सर हारा हुआ, और हटाश महसूस करता हूँ जबकि दुःख से मुठभेड़ करते कभी उदास नहीं …
अनगढ़ कविताएँ - कविता - संजय राजभर 'समित'
जीवन भाग-दौड़ में है अंदर कविताएँ किसी तरह लिख भी दिया तो व्याकरण का जाँच रह जाता है बाक़ी आज-कल सुबह-शाम करते हुए हृदय में दूसरी कविता…
मॉं की दुआ - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
उस आँगन में रहे ना कभी, सुख-समृद्धि का अभाव। फलीभूत रहता है जबतक, माँ की दुआओं का प्रभाव। जन्मदात्री की आज्ञा का, जिस घर में हो अनुपाल…
मेरी माँ - कविता - आर॰ सी॰ यादव
अमिट प्रेम की पीयूष निर्झर, क्षमा दया की सरिता हो। गीत ग़ज़ल चौपाई तुम हो, मेरे मन की कविता हो॥ ऋद्धि सिद्धि तुम आदिशक्ति हो, ज्ञानदाय…
अम्मा कहो! - कविता - ऋचा सिंह
जिसने बैठाई तुरपाई हर टूटे रिश्ते में झुककर बात बनाई घिसते छूटे रिश्तों में, अम्मा कहो! कैसे इतना धीर दिखाया? कैसे ऐसा किरदार बनाया? …
वही तो मेरी माता है - कविता - सुनील गुप्ता
ममता की आँचल में जिसने, छुपा कर मुझको पाला है, असीम विपत्तियाँ सहकर भी, मेरे जीवन को संभाला है, दुःख भी जिनके सामने आकर, अपना सर झुकात…
ऐ कविता! - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ऐ कविता! शायद तू मेरी सहेली है, तू प्यारी सी कोई पहेली है। नीरसता में रस भर देती, तू अलबेली है सच तू अलबेली है। ऐ कविता! शायद तू मेरी …
मैं चिर निर्वासित दीपक हूँ - कविता - राघवेंद्र सिंह
दिनकर-सी चाह नहीं मेरी, उद्घोषित राह नहीं मेरी। निर्भीक, निडर, निश्चल-सा मैं, प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिपल-सा मैं। स्पंदन ही जीवन मेरा…
ऊहापोह - कविता - प्रवीन 'पथिक'
रात ढली ही नहीं! करवट बदलता रहा बिछौने पर। ऑंखों में रौद्र की लालिमा; मस्तिक में प्रश्नों का तूफ़ान; जीवन की आद्योपंत रेखा; खींच गई मान…
बिखरे ना परिवार हमारा - कविता - अंकुर सिंह
भैया न्याय की बातें कर लो, सार्थक पहल इक रख लो। एक माँ की हम दो औलादें, निज अनुज पे रहम कर दो॥ हो रहा परिवार की किरकिरी, गली, नुक्कड़ …
हे तथागत ये बताओं - कविता - मयंक द्विवेदी
हे तथागत ये बताओ जीवन का क्या मर्म है? कैसे हो जीवन का उद्धार क्या संन्यास ही है मुक्ति का द्वार कैसे सम्भव है जन्म पर ना हर्ष हो? और …