संदेश
प्रेम - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'
तेरी अनुपस्थिति ही प्रेम का एहसास कराती है पल भर का मिलन फिर बिझड़न उस पल में मेरी तड़पन तेरी यादों ने फिर जोड़ा मेरे टूटे वीणा के त…
मैं बेख़ौफ़ उड़ानों का शौक़ रखता हूँ - कविता - राकेश कुशवाहा राही
मैं बेख़ौफ़ उड़ानों का शौक़ रखता हूँ, पंख नहीं हौसलों की रफ़्तार रखता हूँ, मंज़िलों पर पल दो पल बसेरा है मेरा, नित नई मंज़िलों की तलाश करता …
दहेज का पालतूपन - कविता - सत्यव्रत रजक
लड़के का बाप ब्याह से छः माह पहले देखता है, दिखाता है पूछता है– और क्या कम रहा दहेज में? कुछ कमी रही तो लिख लिया काग़ज़ पर! भोर होते ही…
पधारें आँगन राजा इन्द्रराज - कविता - गणपत लाल उदय
पधारें हमारे आँगन राजा-इन्द्रराज, सुस्वागतम् आपका यहाँ महाराज। आएँ जो आप छाई यह ख़ुशहाली, अब पूर्ण होंगे सभी के सारे काज॥ चहक रहीं चिड़…
पुत्र का संदेश - गीत - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
ओ चतुर कागा! हमारे गाँव जाना। पुत्र का संदेश उस माँ को सुनाना। मातु से कहना कि उसका सुत कुशल है, याद वो करता उन्हें हर एक पल है। छोड़ द…
प्रेम सन्देश - कविता - बृज उमराव
सोच धनात्मक सब पर भारी, केवल लक्ष्य दिखाई दे। उद्देश्य सदा से एक हो अपना, सफलता शब्द सुनाई दे।। प्रतिद्वन्दी जब कर सकता है, हम क्यों प…
प्रेम प्रसंग - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
मैं शीत संवर का प्रेमी हूँ तू आतप मुझे समझता है मैं सीधा साधा परवाना हूँ तू छलिया मुझको कहता है। मैं चलता हूँ जिन राहों में शांति अंलक…
बहुत याद आते हैं - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
वो काग़ज़ के नाव वो अमरा के छाँव वो अखाड़े का दाँव वो जाड़े का अलाव बहुत याद आते हैं। वो गिल्ली औ डंडे वो लहराते सरकंडे वो डुगडुगी का ए…
शांति स्वरूप - कविता - शालिनी तिवारी
वो शांत स्वरूप जहाँ मन को आराम मिले और विचारों को विराम जहाँ नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो और सकारात्मक ऊर्जा की शुरुआत हो जहाँ जीवन एकांकी …
पंख को आसमाँ चाहिए - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार
अरकान: फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन तक़ती: 212 212 212 पंख को आसमाँ चाहिए, ज़िंदगी को जहाँ चाहिए। धूप निकली हुई है यहाँ, औ उसे आस्ताँ चाहिए। द…
सजन स्वप्न में आए थे - गीत - संजय राजभर 'समित'
धीरे-धीरे नहा उठी थी, जब अहसास कराए थे। सखी रात की बात बताऊँ, सजन स्वप्न में आए थे। जब ज़ुल्फ़ों को सहलाकर वो, खींच बाँहों में भर लिए। …
कान - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
कानों से सुन-सुन कर प्रवचन, हम कई सपने गड़ते है। कानों से बहकावे में, हम एक दूजे पर, दोष मढते है। कानों के भरने पर, भाई भाई में होता …
नीली साइकिल वाली लड़की - कविता - रमाकान्त चौधरी
सुघर सलोनी साँवली सूरत, सुंदर मुखड़े वाली लड़की। सीधी सच्ची नाज़ुक पतली प्यारी भोली भाली लड़की। यूँ तो उसकी सारी सखियाँ सब की सब सुंदर…
समय - कविता - रेखा टिटोरिया
मत ओढ़ उदासियों को कर ख़त्म सिसकियों को। जो हो गया हो जाने दे चल उठ आगे बढ़ ज़िंदगी को जी ले। ये समय है पगले क्यों फ़िक्र करता है ये आज…
इंतज़ार एक तपस्या है - कविता - विनय विश्वा
वो दिन मेरे सपनों के ज़िंदा होने का दिन था इंतज़ार की घड़ियाँ कितनी लम्बी होती हैं एक तपस्या की तरह अगर उस तपस्या में तप गए तो इंतज़ार की …
कलाकार - कविता - रमाकांत सोनी
कला कौशलता दिखलाते कलाकार कहलाते हैं, अपने हुनर से दुनिया में यश परचम लहराते हैं। चित्रकला संगीत साहित्य जिन से गहरा नाता है, सृजन शि…
कालभोज की गौरव गाथा - कविता - संगीता राजपूत 'श्यामा'
कालभोज की गौरव गाथा आओ तुम्हे सुनाते हैं, धरती मेवाड़ी जन्मे योद्धा वीर सभी कहलाते हैं। सन् सात सौ तेरह में जन्मा भीलो ने बप्पा नाम दिय…
प्रेयसी - कविता - स्नेहा
प्रेयसी तो प्रेयसी होती हैं चाहे वह पत्नी के रूप में हो रुक्मिणी जैसी, या प्रेमिका के रूप में हो राधा जैसी, या फिर भक्ति के रूप में हो…
इच्छा शक्ति - कविता - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
इच्छा शक्ति हो अगर प्रबल, तो ईश्वर बनाता उसे सफल। कुछ कभी जगाइए सदिच्छा, ज़रूर पूरी करेगा वही इच्छा। संकल्प जो हम करेंगे मन में, वो साथ…
ऐ बादल! - कविता - नूर फातिमा खातून 'नूरी'
तपती धरती पर तरस खाओ ना, ऐ बादल! अब तो बरस जाओ ना। सूख रहें हैं सारे खेत खलिहान, है भीषण गर्मी शाम चाहे बिहान। पशु-पक्षी प्यासे फड़फड़…
अग्निवीर - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
हम अग्निवीर सीमा प्रवीर, बलिदान राष्ट्र पथ जाते हैं। हम शौर्यवीर गंभीर धीर, स्वाभिमान विजय रण गाते हैं। हम महाज्वाल हैं क्रान्ति अन…
अपनी खोल से निकलकर - कविता - सूर्य मणि दूबे 'सूर्य'
कभी अपनी खोल से निकलकर, किसी के मन में झाँक कर देखो। किसी के दुख दर्द को, मन की आँखों से आँक कर देखो। उनकी परिस्थितियों में जाकर, एक प…
काँटों से अपनी यारी - कविता - राकेश राही
फूलों से इश्क़ क्या राही काँटों से अपनी यारी, काँटों की चुभन में वफ़ा मोहब्बत से है प्यारी। इश्क़ के बाज़ार में दर्द-ओ-ग़म लेकर खड़े रहे, लु…
रिज़ल्ट - लघुकथा - डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
आज कमलेश के बेटे राहुल का रिज़ल्ट निकलने वाला था। साथ ही उसकी बेटी गुड़िया का हाई स्कूल का रिज़ल्ट भी आने वाला था। राहुल को रिज़ल्ट की उतन…
ख़ुद के लिए जिओ - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
कभी ख़ुद के लिए जी कर देखो, ज़िंदगी शायद रास आ जाए। अभी जो बहुत दूर लगती हैं, शायद वे ख़ुशियाँ पास आ जाए। मुमकिन है मिट जाएँ उदासी के घेर…