प्रेयसी - कविता - स्नेहा

प्रेयसी तो प्रेयसी होती हैं
चाहे वह पत्नी के रूप में हो
रुक्मिणी जैसी,
या प्रेमिका के रूप में हो
राधा जैसी,
या फिर भक्ति के रूप में हो
मीरा जैसी।
पर एक प्रेयसी का प्रेम तो प्रेम होता हैं
चाहे जिस रूप में हो 
प्रेम का होना ही अद्भुत हैं,
प्रेम का होना ही सम्पूर्ण सृष्टि को सुंदर बनाना हैं
प्रेम का होना ही परमात्मा का होना हैं।

स्नेहा - अहमदनगर (महाराष्ट्र)

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