अग्निवीर - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

हम अग्निवीर सीमा प्रवीर, 
बलिदान राष्ट्र पथ जाते हैं। 
हम शौर्यवीर गंभीर धीर, 
स्वाभिमान विजय रण गाते हैं।

हम महाज्वाल हैं क्रान्ति अनल,
दुश्मन रण दनुज जलाते हैं।
हम सत्याग्रह हैं शान्ति सरल,
अग्निवीर मनुज हर्षाते हैं।

हम अग्निवीर संकल्प अटल, 
रण युवा शक्ति दिखलाते हैं। 
हम एक तक़ाज़ा राष्ट्र सबल, 
नव प्रगति रीति रच जाते हैं।

हम शान बान नित शान वतन,
अग्निवीर शत्रु दहलाते हैं।
हम चले अग्निपथ निर्भय मन,
तिरंगा राष्ट्र लहराते हैं।

हम महाकाल विकराल काल, 
हम भाल तिलक बन जाते हैं। 
हम कीर्ति विजय लिखते कपाल, 
अग्निवीर ललक मन छाते हैं।

बस चाह विजय हमराह वतन,
एक लक्ष्य अजय रथ जाते हैं।
नाथुला तमांग लद्दाख लेह,
द्रास सियाचिन पथ जाते हैं।

हम शत्रुंजय सर्वोच्च शिखर, 
क़ुर्बान स्वयं कर जाते हैं। 
अनजान विरोधी चाल चलन, 
कर्मवीर प्रखर बन जाते हैं।

हम मति विवेक संयम सत्पथ,
अग्निवीर अजय बन जाते हैं।
हो हरित भरित उन्नत भारत,
हर समर फ़तह कर जाते हैं।

हम अग्निवीर भारत सपूत, 
राष्ट्रगान मंत्र नित गाते हैं। 
हम लोकतंत्र ध्वजवाहक सुत,
संविधान यंत्र अपनाते हैं।

हम महावीर गणतंत्र सबल,
नौजवान वतन कहलाते हैं।
हम अग्निवीर रण बड़वानल,
परमवीर चक्र पद पाते हैं।

जज़्बा सीमा क़ुर्बानी ख़ुद, 
युवजन उमंग उफनाते हैं। 
रख हाथ तिरंगा भारत जय, 
अग्निवीर क़हर ढा जाते हैं।


Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos