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फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर | Firaq Gorakhpuri Top 30 Sher
फ़िराक़ गोरखपुरी उर्दू भाषा के प्रमुख शायरों में से एक थे। उनका असल नाम रघुपति सहाय था। उनका जन्म 28 अगस्त, 1896 को भारत के उत्तर प्रदे…
चाँद पर पहुँचा भारत - कविता - डॉ॰ सहाना प्रसाद
चाँद पर पहुँचा भारत, दिखाई हमने अपनी ताक़त। विज्ञान का महत्त्व पता चला, मेहनत से होता ही है भला। अब हैं सब की ज़ुबान पे, कुछ शब्द बाह्या…
ज़मीनी रंगत - कविता - निवेदिता
हम बेकार ही तलाशते रहे रंगों को आसमाँ में, नज़र नीचे हो भी जाए तो भी ना जाती, कद से नीचे के जहान में, खड़ी थी एक दिन, बैरंग अकेली सी, …
चन्द्रयान है चाँद पर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
चन्द्रयान है चाँद पर, इसरो स्वप्न महान। धन्यवाद वैज्ञानिकों, भारतीय विज्ञान॥ आरोहण साफल्यता, अविरत शोध प्रयास। चन्द्रयान अब सोम पर,…
शख़्स वही गुलाब है - गीत - संजय राजभर 'समित'
काँटों के साथ रहे, फिर भी ख़ुशहाल रहे। चुभ जाए, दर्द सहे, शिकवा तक भी न कहे। सहनशील रुआब है, शख़्स वही गुलाब है। क़दम-क़दम जो चँहके,…
रविवार - कविता - राजेश 'राज' | Sunday Poem Hindi
सुन! कल रविवार है, बेफ़िक्री से खेलेंगे समय की बंदिशें दूर रख देंगे सुबह जल्दी आना। एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण योजना बनाते थे हम, मनपसंद …
मैं हूँ अतीत की लखनपुरी - कविता - राघवेंद्र सिंह
कोसल का हूँ मैं प्रणित अंश, उत्तर प्रदेश की स्वयं धुरी। हूँ अवधपुरी की मैं अनुजा, मैं हूँ अतीत की लखनपुरी। मैं स्वयं विरासत सूर्यवंश,…
बिटिया रानी - लघुकथा - राखी गौर
"अरे रीमा! तुम आ गई।" "हॉं बड़ी मॉं! और आप कैसी हो?" "मैं तो ठीक हूँ, तुम कैसी हो?" "मैं भी एक दम म…
मन - कविता - इन्द्र प्रसाद
मन मधुर स्वप्न गाता है। वह राग मुझे भाता है॥ मन की गति सबसे न्यारी, है सब गतियों पर भारी। जब अंकुश हट जाता है, बन जाता अत्याचारी।…
अथक चलना होगा - कविता - राज कुमार 'नीरद'
बढ़ चला तू जिस पथ उस पर डग भरना कठिन तो है धूल भरे झंझावातों में वह पथ अदृश्य तो है तपिश भी है तपाने को तुझे उस पथ मृगमरीचिकाएँ भी है…
बेख़ुदी में सवाल करते हो - ग़ज़ल - शमा परवीन
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1212 22 बेख़ुदी में सवाल करते हो, तुम हमेशा कमाल करते हो। जब किसी राह में हो तुम मिलते…
राम जन्म - कविता - प्रवल राणा 'प्रवल'
राम जन्म की बेला में मन खो गया। प्रभु चरणों का दर्शन मुझको हो गया॥ माँ कौशल्या ने जब उपकार किया, प्रभु ने देखो अवधपुरी अवतार लिया। दशर…
ज्ञान बाँटने में नहीं कुछ खोने का डर - कविता - विनय कुमार विनायक
मैं शब्दों का हमसफ़र मैं शब्द की साधना करता हूँ मैं स्वर की अराधना करता हूँ अक्षर-अक्षर नाद ब्रह्म है मैं अक्षर की उपासना करता हूँ! मैं…
सावन के आँगन में मेघा घिर आए रे - गीत - श्याम सुन्दर अग्रवाल
सावन के आँगन में मेघा घिर आए रे, धरती की माँग भर जल किसान गीत गाए रे, सावन के आँगन में मेघा घिर आए रे। खेतों में बीज पड़े, दानों ने मु…
माँ - कविता - रमेश चन्द्र यादव
घर पर शादी की तैयारी, सर पर आया कारज भारी। नेक सलाह हर पल दे मुझको, माँ दे दो कोई आज उधारी॥ पकड़ उँगली जिसकी मैंने, पग घरती पर रखना सीख…
जगत के कुचले हुए पथ पर भला कैसे चलूँ मैं? - कविता - हरिशंकर परसाई
किसी के निर्देश पर चलना नहीं स्वीकार मुझको, नहीं है पद चिह्न का आधार भी दरकार मुझको। ले निराला मार्ग उस पर सींच जल काँटे उगाता, और उनक…
एक सपना था - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
एक सपना था, जो जाग रहा। दूब पे बिखरी ओस का, स्पर्श जो था पाँओं को। विपन्नता से जीवनयापन का, कुल ज्ञान था गाँवों को। पेड़ों की एकांत स्…
तुम्हें जब भी देखा - कविता - नरेन्द्र सोनकर 'कुमार सोनकरन'
तुम्हें जब भी देखा बस तुम्हें देखा एकटक देखा जी भर देखा होकर देखा खोकर देखा तुम में तुम्हें जब भी देखा तो नहीं देखा घर परिवार समाज न…
तू ज़रा सब्र तो कर - कविता - अशोक योगी
जीत जाएगा जंग-ए-ज़िंदगी एक दिन, तू ज़रा जिगर में सब्र तो कर। निकलेंगे उजाले स्याह रातों से एक दिन, तू ज़रा मुश्किलों से अगर मगर तो कर। …
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