बेख़ुदी में सवाल करते हो - ग़ज़ल - शमा परवीन

बेख़ुदी में सवाल करते हो - ग़ज़ल - शमा परवीन | Bekhudi Ghazal - Bekhudee Mein Sawaal Karte Ho
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122  1212  22

बेख़ुदी में सवाल करते हो, 
तुम हमेशा कमाल करते हो। 

जब किसी राह में हो तुम मिलते, 
कितनी ख़ुशियाँ बहाल करते हो। 

आज आई हूँ देर से मिलने, 
सिर्फ़ इसपर बवाल करते हो। 

वस्ल की शब में हिज्र की बातें, 
मेरा जीना मुहाल करते हो। 

इश्क़ हो रूठना मनाना हो, 
काम सब बेमिसाल करते हो। 

सब के सब रंग हैं ये कुदरत के, 
क्यूँ हरा पीला लाल करते हो। 

इक न इक दिन मिलेंगे हम 'शम्मा', 
तुम क्यूँ इतना मलाल करते हो। 


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