शख़्स वही गुलाब है - गीत - संजय राजभर 'समित'

शख़्स वही गुलाब है - गीत - संजय राजभर 'समित' | Hindi Geet - Shakhs Wahi Gulaab Hai | गुलाब पर गीत
काँटों के साथ रहे, 
फिर भी ख़ुशहाल रहे। 
चुभ जाए, दर्द सहे, 
शिकवा तक भी न कहे। 

सहनशील रुआब है, 
शख़्स वही गुलाब है। 

क़दम-क़दम जो चँहके, 
पंखुड़ियों सी महके। 
ख़ुशबू कभी न छोड़े, 
नम से सबको जोड़े। 

भ्रमरों सा नबाब है, 
शख़्स वही गुलाब है। 

चेहरे का हर भाव, 
अमन व प्रेम का चाव। 
जैसा रंग का फूल, 
वैसा हृदय अनुकूल। 

त्याग जीवन आब है, 
शख़्स वही गुलाब है। 
               

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