शख़्स वही गुलाब है - गीत - संजय राजभर 'समित'
शनिवार, अगस्त 26, 2023
काँटों के साथ रहे,
फिर भी ख़ुशहाल रहे।
चुभ जाए, दर्द सहे,
शिकवा तक भी न कहे।
सहनशील रुआब है,
शख़्स वही गुलाब है।
क़दम-क़दम जो चँहके,
पंखुड़ियों सी महके।
ख़ुशबू कभी न छोड़े,
नम से सबको जोड़े।
भ्रमरों सा नबाब है,
शख़्स वही गुलाब है।
चेहरे का हर भाव,
अमन व प्रेम का चाव।
जैसा रंग का फूल,
वैसा हृदय अनुकूल।
त्याग जीवन आब है,
शख़्स वही गुलाब है।
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