घर पर शादी की तैयारी, सर पर आया कारज भारी।
नेक सलाह हर पल दे मुझको, माँ दे दो कोई आज उधारी॥
पकड़ उँगली जिसकी मैंने, पग घरती पर रखना सीखा।
जिसके आँचल की छाया में, शब्द वो पहला कहना सीखा॥
ख़ुद सोई गीले बिस्तर पर, मुझको सूखी ओर सुलाया।
लोरी गाकर नींद बुलाई, जब भी रोया मुझे हँसाया॥
मुझ पर अपना प्यार लुटा कर, चली गई वो पालनहारी।
नेक सलाह हर पल दे मुझको, माँ दे दो कोई आज उधारी॥
जब भी काम किया मैंने, माँ तेरी याद बहुत आई।
तुझको खोकर सबकुछ खोया, हो ना सकी है भरपाई॥
तू थी जब तक पास मेरे, मैं चिन्ता से मुक्त रहा।
किसी तरह का भय नहीं था, सदा सर पर तेरा हस्त रहा॥
तेरे बिना मैं आज अधूरा, कम पड़ जाती हर होशियारी।
नेक सलाह हर पल दे मुझको, माँ दे दो कोई आज उधारी॥
पर तू तो हर पल साथ है मेरे, सब कुछ तेरा कृपा फल है।
तेरा वरद हस्त है सर पर, मेरा जीवन हुआ सफल है॥
उतर जाए माँ तेरा ऋण, किसी में इतना सामर्थ नहीं।
कर ना सकें जो माँ की सेवा, उनके जीवन का अर्थ नहीं॥
माँ होती ईश्वर की मूरत, उसकी महिमा जग में न्यारी।
नेक सलाह हर पल दे मुझको, माँ दे दो कोई आज उधारी॥
रमेश चन्द्र यादव - चान्दपुर, बिजनौर (उत्तर प्रदेश)