अथक चलना होगा - कविता - राज कुमार 'नीरद'

अथक चलना होगा - कविता - राज कुमार 'नीरद' | Prerak Kavita - Athak Chalna Hoga - Raj Kumar Nirad | प्रेरक हिंदी कविता, Hindi Motivational Poem
बढ़ चला तू जिस पथ
उस पर डग भरना
कठिन तो है
धूल भरे झंझावातों में 
वह पथ
अदृश्य तो है 
तपिश भी है
तपाने को तुझे
उस पथ
मृगमरीचिकाएँ भी हैं 
किंतु न मंद पड़ना होगा
न रुद्ध होना होगा 
नित प्रवाह में 
उठते चलना होगा
विश्राम नहीं तुझे 
अथक चलना होगा।

ध्वनि जो सुन रहा तू
जो आ रही क्षितिज से
जिस हेतु हृदय प्रगाढ़ हुआ
जो गूँज रही तुझ निज में
जिसे पा लेने को
तू हुआ तत्पर
जिसके लिए बढ़ चला
हो और विकल
उस लक्ष्य हेतु अब
मेघों-सा हो आच्छादित
बरसना होगा
विश्राम नहीं तुझे
अथक चलना होगा।

राज कुमार 'नीरद' - मेरठ (उत्तर प्रदेश)

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