राम जन्म - कविता - प्रवल राणा 'प्रवल'

राम जन्म - कविता - प्रवल राणा 'प्रवल' | Hindi Bhakti Kavita - Ram Janm - Praval Rana. श्री राम जन्म पर कविता
राम जन्म की बेला में मन खो गया।
प्रभु चरणों का दर्शन मुझको हो गया॥

माँ कौशल्या ने जब उपकार किया,
प्रभु ने देखो अवधपुरी अवतार लिया।
दशरथ जी का ख़ुशी से उत्सव हो गया॥

राम जन्म का तोहफ़ा देखो आज मिला,
अवधपुरी को एक नया युवराज मिला।
जनता को आल्हाद अनोखा हो गया॥

जिसको देखो आज ख़ुशी से पागल है,
जन-जन का सस्ता घर आँगन है।
रघुकुल में उत्साह अनोखा हो गया॥

राम बड़े तो छोटे लक्ष्मण भाई हैं,
भरत शत्रुघ्न में भी तो तरुणाई है।
तीनों माताओं को सुख हो गया॥

राम अवध में ले लीने अवतार हैं,
भारत का सबसे बड़ा त्योहार है।
जीवन सफल हमारा हो गया,
राम जन्म की बेला में मन खो गया॥


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