संदेश
परमात्मा है कौन? - कविता - विनय कुमार विनायक
परमात्मा है कौन? पूछो परमात्मा से परमात्मा नहीं है मौन! परमात्मा नहीं कोई व्यक्ति, परमात्मा नहीं कोई अलग शक्ति, परमात्मा है समग्र समष्…
दावा - कविता - विक्रांत कुमार
भूलना सुनियोजित हादसा है और याद करना प्रायोजित षड्यंत्र है हमें नहीं पता कि– हम हादसे का शिकार होने वाले हैं या षड्यंत्र का भुक्तभ…
हिंसा - कविता - रौनक द्विवेदी
हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का हिस्सा, वर्ना बिखर जाओगे जैसे टूट कर शीशा। हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का हिस्सा। आग में उसकी डाल के पा…
याचना - ताटंक छंद - संजय राजभर 'समित'
जीवन क्या है यही समझने, गंगा जल भर लाया हूँ। महादेव! मैं याचक बनकर, तेरे दर पे आया हूँ। बने न बंजर धरती सारी, विष का प्याला पी डा…
हो कर बूँद - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
हो कर बूँद, प्यास धरा की जान सका। क्यों कोयल गाती फिरती है, क्यों रंग उसका काला है। पिय की पुकार रहे सदा, रंग विरह की हाला है। हो कर ब…
मित्र - कविता - राजेश 'राज'
तुम्हारा जब दिल करे फ़ोन या मैसेज के बिना किसी भी समय मुझसे मिलने चले आना, कोई भी औपचारिकता पूरी करने का ख़्याल मन में भूलकर भी मत लाना…
है मित्र ही सुवृंद भी - कविता - राघवेंद्र सिंह
है मित्र ही सुवृंद भी, है इत्र की सुगन्ध भी। चरित्र में प्रबन्ध भी। अनंतकोटि बन्ध भी, है राम वो है, कृष्ण भी, सुदामा की है तृष्ण भी। स…
सफलता निजी नहीं होती - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दें, उनका चरित्र निर्माण करें ईमानदारी और मेहनत करना सिखाएँ। रिश्ते और रिश्तों की क़दर करना सिखा…
बेटी - कविता - रमेश चन्द्र यादव
होते संचित पुण्य मानव के, घर मे तब आती है बेटी। बहन भार्या और माता, जाने, कितने रूप निभाती है बेटी। परिवार रहे ख़ुशहाल सदा, वृत और त्यौ…
हो सफल सकल अभिलाष सफ़र - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आग़ाज़ सुपथ संकल्प अटल, पुरुषार्थ सुगम बन जाता है। उल्लास नवल धीरज संयम, साफल्य मधुर मुस्काता है। अरुणाभ समुन्नत सोच शिखर, विश्वास ध्…
मंज़िल हमारी कैसे मिलेगी - गीत - प्रशान्त 'अरहत'
पाकिस्तानी क़व्वाल और गीतकार फैज़ अली फैज़ साहब के गीत "दिल-ए-उम्मीद तोड़ा है किसी ने" पर आधारित। अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊ…
बलात्कार - कविता - रमाकान्त चौधरी
दुष्कर्म किसे कहते हैं सब दुराचार क्या होता पापा? नन्ही बिटिया पूछ रही है बलात्कार क्या होता पापा? दुराचार है काम दुष्ट का कोशिश की …
ऐ सावन! - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ऐ सावन! तेरे रूप हैं कितने? कोई कहे तुझे बेदर्दी रे, कोई सजाए मीठे सपने, ऐ सावन! तेरे रूप हैं कितने? ख़्वाबों की ताबीर किसी की पूरी होत…
मित्र - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
मित्र तुम्हारा हृदय सिन्धु है तुम नाविक हो वह पतवार, साथ तुम्हारे रह कर करता भंवर और भवनद को पार। क्षीर-नीर का वही विवेचक यक्ष प्रश्न …
एक आवाज़ दो - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
प्रेम की बाँसुरी होठों से चूम लो, फूँक दो एक स्वर राग भर जाएँगे, बिन तुम्हारे रहे हम अधूरे सदा, एक आवाज़ दो पार कर जाएँगे। बीच में अगिन…
ज़ंजीरों में फिर ना तू बाँध मुझे - कविता - नविन कुमार
मन की व्यथा ने मेरी मति को समझा, समझा उसने मुझे समझाया, डगमग-डगमग पाँव मेरे, इन पग पर अपना पग है बनाया। अब फिर न तू साध इसे, ज़ंजीरों म…
दुर्योधन क्या बाँध पाएगा? - कविता - मयंक द्विवेदी
न बाँध सका जिसे कारागृह, न बाँध सके जिसे नंद अयन, न बाँध सके यशोदा सूत बंधन, न साध सके जिसे कंस भुजबल, दुर्योधन क्या कर पाएगा? प्रत्य…
आर्तनाद - कविता - प्रवीन 'पथिक'
जब भी अतीत को देखता हूँ! एक भयानक यथार्थ; खड़ा हो जाता मेरे समक्ष। बड़ी भुजाऍं, बड़ी-बड़ी ऑंखें, और लपलपाती रक्तिम जिह्वा लिए; घूरा क…
भोर - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
मुर्गे बाँग दे उठे तन कर, होने लगी विदाई तम की। मन्दस्मित मुस्कान उषा की, गगन भेदती झिलमिल चमकी॥ पूर्व दिशा से भुवन भास्कर, धीरे-धीर…
ख़ुद - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
है हमारा क्या जहाँ में इस जहाँ में हम जो ठहरे, हो भला क्यों न ऐसा ख़ुद में हम कम जो ठहरे। ख़ुद से ख़ुद की दूरियाँ हो सकी हैं तय न अबतक, ब…
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