सफलता निजी नहीं होती - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय

बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दें, उनका चरित्र निर्माण करें ईमानदारी और मेहनत करना सिखाएँ। रिश्ते और रिश्तों की क़दर करना सिखाएँ।
अच्छे संस्कार और अनुशासन पूरे समाज और राष्ट्र को बेहतर और सफल बनाता है।
विश्व भर में फैल रही वैमनस्यता, अपराध और अन्य जघन्य कृतियों में हमारी अनुशासन हीनता और असभ्यता ही ज़िम्मेदार हैं।
सफलता प्राप्त करने के लिए अच्छी आदतें, कर्मशीलता और अनुशासित होना आवश्यक है अनुशासन हमारी उत्पादकता (Productivity) बढ़ाता है हमें सदृढ़ और व्यवस्थित बनाकर ग़लती की संभावना को कम कर समस्याओं का बेहतर हल ढूँढ़ने में मदद करता है।
मार्टिन लूथर किंग ने कहा है कि "अगर आप उड़ नहीं सकते तो दौड़ें, दौड़ नहीं सकते तो चलें और चल नहीं सकते तो रेंगते हुए चलें पर चलते रहें आगे बढ़ते रहें हमेशा कर्मशील रहें।"

पूरी टीम अनुशासित होने से एक दूसरे का सहयोग होता है, कार्य जल्द सफल हो जाता है। इसलिए किसी भी परिवार, संस्था अथवा कम्पनी में अनुशासन पर जोर दिया जाता है और अनुशासन अच्छे संस्कार से ही आते हैं। जिस परिवार, संस्था अथवा कम्पनी में लोग अनुशासित होते हैं वो उतनी ही मज़बूत और सफल होती है।
एक बात ज़रूर याद रखनी चाहिए कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, इसके निश्चित चरण हैं, उसे पार करना ही पड़ता है, आप को परिश्रम करना ही पड़ेगा पर्याप्त समय देना ही पड़ेगा।
कई बार आप थक जाते हैं और कोई शॉर्टकट या ग़लत तरीक़े से सफल होने के लिए प्रयास करते हैं।
आप भले ही सोचे ऐसा एक बार ही करेंगे दुबारा नहीं करेंगे और बाद में सुधार कर लेंगे परन्तु आपको उसे सुधारने का मौक़ा नहीं मिलता और अनैतिक शॉर्टकट (Unethical Shortcut) की आदत लग जाती है। इस तरह से मिली सफलता आप को स्थाई ख़ुशी नहीं दे सकती, और आप उस सफलता को मन से सेलिब्रेट नहीं कर पाएँगे।
एक सफल व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है, उन्हें पता होता है कि समय सबसे बड़ी सम्पत्ति होती है। वे किसी भी क़ीमत या परिस्थिति में समय को बर्बाद नहीं करते। जीवन का हर क्षण एक नई संभावना लेकर आता है और सफल व्यक्ति हर क्षण का सही उपयोग करता है, वो हर क्षण वही करता है जो उसके जीवन को सुखद व उत्कृष्ट बनाए। हर क्षण खुलकर जीता है

आप ने कई बार सुना होगा जब उद्योगों या संस्थानों के द्वारा किया गया वित्तीय धोखाधड़ी (Accounting Fraud), स्टॉक में हेर-फेर और धन-शोधन (Money Laundering) जैसे ग़लत तरीक़े से धन अर्जन करती हैं या लोगों को आकर्षित करती है। सच्चाई सामने आने पर वही लोग हाथ खींचने लगते हैं और शेयर्स गिरने लगते हैं। कम्पनी ढहने लगती है।
कई कम्पनियाँ ढह गईं ऐसे ही, कोई भी व्यवसाय, ट्रेड, एक्सचेंज मार्केट और ख़रीदार व उपभोक्ता के साथ पारदर्शिता से चलता है। 
व्यवसाय, व्यापार, संस्था व उद्योग उनके मालिक (Founder) ही नहीं चलाते, सिर्फ़ वही उसे सफल नहीं बनाते बल्कि संस्था या उद्योग में कार्यरत निचले तबक़े से उच्चे स्तर तक के कर्मचारियों के संयुक्त प्रयास (Collective Effort), उत्पाद या सेवा (Services) के ख़रीदार के सहयोग से चलता है और सफल होता है।

सतत बिज़नेस के लिए असल माँग होनी आवश्यक है। जितनी ही आवश्यक सप्लायर, सप्लाई व उत्पादन है उतने ही आवश्यक माँग, मार्केट और ख़रीदार व उपभोक्ता भी हैं। 
कोई भी उत्पाद आप मार्केट में कस्टमर पर थोप नहीं सकते।
"Sell What You Can Make - Selling"
ऐसा आप एक बार कर सकते हैं फिर उसका उत्पादन और सप्लाई बनाए रखने और सतत होने के लिए माँग और कस्टमर को उसकी ज़रूरत होनी चाहिए और एक सार्थक वैल्यू चेन (सही समय व जगह पर सही वितरण और Service After Sell) डेवलप होना चाहिए।
या फिर आप वो चीज़ें बनाएँ जिसकी असल मे ज़रूरत है उपभोक्ता को फ़ायदा और सन्तुष्टि (Satisfaction) मिले।
"Make What You Can Sell - Marketing"
सर्विस और प्रॉब्लम सॉल्विंग पर ज़्यादा फ़ोकस करना होगा।
एक बार कुछ भी बेचकर मुँह फेर लेने से बिज़नेस नहीं चलता। बिज़नेस बेचने और ख़रीदने वाले दोनों की ज़रूरत और परस्पर सम्बंध से चलता है।

पूरी दुनिया मे अकेलापन और सन्नाटा सा पसरा है सब फ़ोन और अपने काम मे व्यस्त हैं, लोग अवसाद (Depression) और एंग्जायटी (Anxiety) से ग्रस्त हैं। परिवार अब परिवार रहा ही नहीं। घंटो बैठकर बातें नहीं करते, साथ मे खाना नहीं खाते, पुरानी बातें याद कर के हँसी मज़ाक भी नहीं कर पाते।

एक पिता सदैव चाहता है कि उसके बच्चे उस से भी आगे निकले, उससे भी अधिक कामयाब और सफल हों और हर सम्भव और असम्भव प्रयास करता है अपने बच्चों की परवरिश और सफलता के लिए। 
याद रखिए सफलता सिर्फ़ आप की ही नहीं होती, बहुतों का योगदान होता है और आपकी सफलता बहुतों को प्रेरणा देती है।
किसी एक व्यक्ति के सफलता से अन्य लोगों व समाज को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ अवश्य मिलता है। और किसी की सफलता में यदि आपका योगदान नहीं है इसका मतलब ये नहीं है कि उसे सफलता यूँ ही या बिना परिश्रम के मिली है जबकि बहुत एड़ियाँ घिसी हैं उसने और बहुतों ने मदद की होती है और कईयों ने पीछे खींचा होता है। भाग्य भी उसी का साथ देती है जो कर्म करते हैं, मेहनत करते हैं।

बात है स्वीकारने की कि अमुक व्यक्ति सफल है समृद्ध है तो ज़रूर उसने ईमानदारी और तत्परता से मेहनत की होगी और दूसरी तरफ़ सफल व समृद्धि व्यक्ति को भी ज्ञात होना चाहिए और स्वीकारना चाहिए कि सफलता की सीढ़ियों पर कुछ लोगों ने उसे सहारा भी दिया, सहयोग किया, लड़खड़ाया तो सम्भाला भी था। सफलता किसी भी क्षेत्र में मिली हो अकेले व एक दिन में प्राप्त की ही नहीं जा सकती। सफल होने की प्रक्रिया में आप को कई लोगों ने सहयोग किया है। अगर सब पीछे ही खींचते तो आप सफल हो ही नहीं सकते।
इस प्रकार व्यवसाय व किसी व्यक्ति की सफलता उसी तक सीमित या उसी पर निर्भर नहीं रह जाती वो व्यापक होती है निजी नहीं होती।

सफलता तभी टिकती है जब व्यक्ति अपनी विनम्रता बनाए रखता है और सीखता रहता है और उसे निजी नहीं समझता।
कई कंपनियों के संस्थापक अब नहीं रहे फिर वो कम्पनी चल रही है, उसके उत्पाद या सर्विसेज लोगों तक पहुँच रहे हैं। लोग नहीं रहते उनके विचार और सिद्धान्त याद किए जाते हैं।
सफलता एक प्रक्रिया है और ये चलती रहती है।

किसी भी व्यक्ति के सफलता के लिए अच्छी शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार, अनुशासन और अच्छी आदतों का होना आवश्यक है।

यास्मिन समाजे अनुशासनं न भवति तत्र सदैव कलह: भवति 
(जिस समाज में अनुशासन नहीं होता वहाँ पर सदैव अशांति रहती है)

प्रकृति: अपि ईश्‍वरस्‍य अनुशासने तिष्‍ठति 
(प्रकृति और ईश्वर हमेशा अनुशासन चाहते हैं)

य: नर: पुर्णतया अनुशासनं पालयति स: स्‍वजीवने सदा सफल: भवति 
(जो व्यक्ति हमेशा अनुशासन का पालन करता है वो जीवन में हमेशा सफल होता है)

श्रेष्ठ होना कोई कार्य नहीं बल्कि हमारी आदत है जिन्हें हम बार-बार करते हैं।
- अरस्तू

हमें जीवन मे सफल होने के लिए निम्न अच्छी आदतों को अपनाना चाहिए:

1) समय का सदुपयोग: समय एक सम्पदा है इसे किसी भी क़ीमत पर ख़रीदा नहीं जा सकता। इसलिए समय का सदुपयोग करें।

2) ख़ुद को पहचाने: अपने कार्यों, रूचियों, अच्छाईयों और बुराईयों का अवलोकन करें, ख़ुद पर यक़ीन करें और ख़ुद को क़ाबिल बनाएँ।

3) हमेशा विनम्र रहें: विनम्रता की आदत डालें, लोंगो को क्षमा करें और दूसरों का सहयोग करें जिससे लोग आप को जगह दे।

4) मेहनत और ईमानदारी: मेहनत और ईमानदारी को आदत बनाएँ। अवसर मिलने पर बेईमानी और कामचोरी न करें।

5) किताबें पढ़ें: किताबें हमारी सबसे अच्छी मित्र और मार्गदर्शक हैं। समय निकाल कर पुस्तकें पढ़ते रहें।

6) बचत की आदत डालें: बचत की आदत डालें और बच्चों को भी बचत के फ़ायदे बताएँ। छोटे-छोटे बचत समय पर बहुत काम आते हैं।

7) अनुशासन और संस्कार: हर कार्य को करने का एक तरीक़ा है जो अच्छे संस्कार और अनुशासन से ही आता है। अच्छे संस्कार और अनुशासन से परिवार और समाज मे लोंगो का प्यार और सहयोग मिलता है।

8) ख़ुद और रिश्तेदारों के लिए समय निकालें: दिन भर में कुछ समय अपने लिए ज़रूर निकाले जिससे मन शांत हो और जो मन करे वही करें। रिश्तेदारों से भी मिले, मिल नहीं सकते तो फ़ोन पर बातें करें।

9) आशावादी और इच्छावादी बने: सीखने और सफलता के प्रति प्रबल इच्छा रखें। निराश न हों।

10) सदैव सक्रिय रहें: व्यायाम करें, योग करें। अपने आस-पास की चीज़ों और घटनाओं पर ध्यान रखें।

श्याम नन्दन पाण्डेय - मनकापुर, गोंडा (उत्तर प्रदेश)

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