दावा - कविता - विक्रांत कुमार

भूलना सुनियोजित हादसा है
और 
याद करना प्रायोजित षड्यंत्र है  
हमें नहीं पता कि–
हम हादसे का शिकार होने वाले हैं
या 
षड्यंत्र का भुक्तभोगी
हाँ, यह दावा है
कि अछूता कोई ना बच पाएगा।

विक्रांत कुमार - बेगूसराय (बिहार)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos