संदेश
हिंदी में सबकुछ रखा है - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
आओ तुम्हें बतलाये आज हिंदी मे क्या रखा है, छोटा अ बड़ा आ, क, ख, ग, घ, डं में क्या रखा है, अज्ञानी से जाने का भाव नया लिख रखा …
हिंदी बने राष्ट्र भाषा - कविता - अंकुर सिंह
हमारा हो निज भाषा पर अधिकार, प्रयोग हिंदी का करें इसका विस्तार। निज भाषा है निज उन्नति का कारक, मिटे निज भाषा से हमारा अंधकार।। …
मेरी प्यारी भाषा हिंदी - कविता - प्रशांत अवस्थी
भारत के मस्तक की बिंदी मेरी प्यारी भाषा हिंदी सरल सरल भावों की भाषा यह है मेरे राष्ट्र की भाषा शब्द शब्द में मीठापन है हिंदी…
हिंदी मेरी शान - कविता - कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप"
मेरी आन मेरा अरमान है हिंदी, विविधता में रहे एकता मेरी असली पहचान है हिंदी, एक राष्ट्र, एक ही भाषा भारत का सम्मान है हिंदी! ज…
सरसिज मुख मुस्कान अधर - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नवप्रीत हृदय मधुरिम शीतल अनुराग प्रिये। कोमल किसलय शुभ गात्र चारु रतिराग प्रिये। स्वप्न लोक आलोक कुमुद कुसम…
परिभाषा सुख की - कविता - सुनीता रानी राठौर
प्रेम स्नेह है अनिवर्चनिय सुख, असीमित और चिरस्थाई सुख। न कोई चुराए न हीं कोई छीने, आनंदविभोर करे मन का सुख। आत्मीयता पाने की …
चिड़कली - राजस्थानी कविता - कपिलदेव आर्य
मोत्यां मैंगी चिङकली, सिध चाली ससुराल, आंगणियो बाथां भरै, ठणकै घर-संसार..! झिरमिर आंसूङा झरै, रोवै मायङ-बाप, के करल्यां इण रित रो…
बलात्कार - कविता - मनोज यादव
दीवारों पर खाक बचे है अभियान के किसी की सिसकती बेटी मिली है सिवान में। किसी जंगली जानवर ने नही नोचा है उसे देह पर निशान पाये गये …
कुल का सम्मान - दोहा - संजय राजभर "समित"
जहाँ नेह बरसात हो, वहाँ समर्पण आन। प्रेम दया सहयोग से, कुल का है सम्मान ।। जहाँ रहे संतोष की, मन में उच्च विचार। रूखी-सूखी जो…
रावण ऐसे न जलता - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
रावण ऐसे न जलता दशहरे के मेलों में किसी एक ने पहचाना होता श्री राम को दस चेहरों ने ।। दम्भ और शक्ति के मद में ईश्वर का अस्तित्…
फ़रेबी इश्क़ - ग़ज़ल - रोहित गुस्ताख़
दिल का काम तमाम किया है धड़कन ने आराम किया है इश्क़ इबादत दीवानों की धोखे ने बदनाम किया है गाँव गली सब सदमे में है रातों रात गु…
भूल जाने वाले - गीत - प्रमोद कुमार "बन्टू"
छोड़ कर साथ जाने वाले याद आ रहे भूल जाने वाले क्या कमी थी मेरे प्यार में, साथ मरने की कसम खाने वाले मैं तुझे ही तो प्यार…
मानक है हिन्दी वतन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
हिन्दी पखवाड़ा दिवस, चलो मनाऊँ आज। जनभाषा निज देश में , रक्षण निज मोहताज़।।१।। अभिनंदन स्वागत करूँ,हिन्दी दिवस आगाज़। इस स्वतंत…
प्रकृति - कविता - प्रियंका चौधरी परलीका
तुम स्वार्थ में अंधे होकर लूटना चाहते हो प्रकृति को तुम जीतना चाहते हो पृथ्वी तुम बनना चाहते हो विजेता। हे मनुष्य ... तुम भ…
क्यों है कोरोना काल में - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
क्यों है कोरोना काल में चंहु ओर हाहाकार में भूख प्यास से बेहाल है क्यों घर लौटते किसान हैं मायूस दो रोटी बिन क्यों हुए बेहाल…
भारत विश्व पटल पर छाये - कविता - अनिल मिश्र प्रहरी
जग बोले तेरी ही भाषा प्राणों की उत्कट अभिलाषा, तेरी ही छवि विश्व निहारे अंचल में चंद्रिका, सितारे,…
आग नहीं हूँ मैं - ग़ज़ल - आलोक कौशिक
आग नहीं हूँ मैं कुछ लोग फिर भी जलते हैं मुझको गिराने में वो हर बार फिसलते हैं बे-शक मिलो तुम उनसे जिनकी ज़बाँ है कड़वी बचो उनस…
मुझको ना भूल पाओगे - कविता - शेखर कुमार रंजन
ज़ख्म सच में तुम्हें हैं, तो मलहम लगा दू तुझे इससे पहले की कोई और नमक, लगा दे तुझे हमदर्द बनकर गुजारी हैं जिंदगी मैने सारे दर्द य…
काश मैं बंजारा होता - कविता - दिलीप यादव
"काश मैं बंजारा होता" तो लोगों का गुलाम ना होता, ना कोई नाम होता ना कोई काम होता, ना किसी पे बोझ होता ना किसी का बोझ हो…
जातिवादी प्रेम - कविता - आशीष कुमार पाण्डेय
जब प्रेम किया था, तब ना पूछा उसने। फिर आज क्यों वो इतना, जातिवादी हो रहा है।। जब प्रेम को विवाह के, सूत्र में बाँधना चाहती हूँ त…
भूल - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नवशिक्षण अभिलाष मन, नाम समझ लो भूल। जीवन का शाश्वत नियम, आत्म चिन्तना मूल।।१।। भूल अर्थ विस्मृति समझ, मान अर्थ अपराध।…
औरतों का मजाक - आलेख - सलिल सरोज
साहिर लुधियानवी का फिल्म साधना के लिए लिखा यह गीत औरतों के ऊपर सदियों से हो रहे भद्दे मज़ाक और पुरुष प्रधान समाज की नग्न मानसिकता की…
लेखक का सपना - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
लेखक का सपना क्या? वो तो खुद सपना है सपनों में ही जीता है सपनों में ही खाता पीता सोता है। हसीन सपने देखता/दिखाता है, सपनों का स…
बढती जनसंख्या, घटते संसाधन - लेख - अंकुर सिंह
जनसंख्या वृद्धि कही न कही हमें आने वाले समय में भयंकर दुष्परिणाम की तरफ ले जा रही है, इसपर हम आज न सचेत हुए तो आने वाले समय में सं…
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