मानक है हिन्दी वतन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

हिन्दी   पखवाड़ा   दिवस, चलो मनाऊँ आज।
जनभाषा निज देश में , रक्षण निज मोहताज़।।१।।

अभिनंदन स्वागत करूँ,हिन्दी दिवस आगाज़।
इस स्वतंत्र   गणतंत्र में , तरसे    हिन्द समाज।।२।।

सिसक रही निज देश में , निज वजूद सम्मान। 
हिन्द देश हिन्दी वतन , निज रक्षण  अपमान।।३।।

बाँध     वतन  जो एकता  , दर्पण भारत शान।
जनभाषा तीसरी बड़ी , सहे     हिन्द अवमान।।४।। 

साजीशें   ये   कबतलक , भिक्षाटन अस्तित्व।
जनभाषा    हिन्दी   वतन , माँग रहा  है स्वत्व।।५।।

निज वाणी मधुरा प्रिया , हिन्दी  नित  सम्मान। 
भारत  की  जन अस्मिता , बने   एकता  शान।।६।।

नित यथार्थ सुन्दर  सुलभ ,सूत्रधार  जन   देश।
संस्कृत तनया  जोड़ती , हिन्द    वतन   संदेश।।७।।

कण्ठहार जनभाष बन , विविध रीति बन प्रीत।   
आन  बान  शाने     वतन , हिन्दी   है     उद्गीत।।८।।

श्रवण कथन सम लेखनी ,  काव्यशास्त्र उद्गीत।
मानक  है     हिन्दी  वतन , लोकतंत्र   नवनीत।।९।।

शब्द अर्थ अधिगम सुलभ, साहित्यिक सत्काम। 
समरसता   नवरंग    से , हिन्दी   है   अभिराम।।१०।।

बने   धरोहर  राष्ट्र की , नव    विकास  आधार।
हिन्दी भाषा शुभ वतन , राष्ट्र  भाष   अधिकार।।११।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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